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________________ भगवती सूत्र-श. २५ उ. ६ प्रतिमेवना द्वार . २८ उत्तर-गोयमा ! सामाइयसंजमे वा होजा जाव सुहमसंपरायसंजमे वा होजा, णो अहक्खायसंजमे होजा। भावार्थ-२८ प्रश्न-हे भगवन् ! कषाय-कुशील किस संयम में होते है ? २८ उत्तर-हे गौतम ! सामायिक संयम में यावत सूक्ष्मसंपराय संयम में होते हैं, परन्तु यथाख्यात संयम में नहीं होते। - २९ प्रश्न-णियंठे णं-पुच्छा। - २९ उत्तर-गोयमा ! णो सामाइयसंजमे होजा जाव णो सुहमसंपरायसंजमे होजा, अहक्खायसंजमे होजा । एवं सिणाए वि ५। भावार्थ-२९ प्रश्न-हे भगवन् ! निग्रंथ किस संयम में होते हैं ? २९ उत्तर-हे गौतम ! सामायिक संयम यावत् सूक्ष्मसंपराय संयम में नहीं होते, किन्तु यथाख्यात संयम में होते हैं। इसी प्रकार स्नातक भी। . प्रतिसेवना द्वार ३० प्रश्न-पुलाए णं भंते ! किं पडिसेवए होजा, अपडिसेवए होजा ? - ३० उत्तर-गोयमा ! पडिसेवए होजा, णो अपडिसेवए होजा। भावार्थ-३० प्रश्न-हे भगवन् ! पुलाक, प्रतिसेवी (दोषों का सेवन करने वाले) होते हैं या अप्रतिसेवी ? .३० उत्तर-हे गौतम ! प्रतिसेवी होते हैं, अप्रतिसेवी नहीं होते। ३१ प्रश्न-जइ पडिसेवए होजा किं मूलगुणपडिसेवए होना, Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004092
Book TitleBhagvati Sutra Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages692
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size11 MB
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