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________________ ३३४६ भगवती सूत्र-श. २५ उ. ५ आवलिका यावत् पुद्गल-परिवर्तन के समय २५ उत्तर-हे गौतम ! अनागताद्धा (भविष्यत्काल) संख्यात अतीताद्धा, असंख्यात अतीताद्धा और अनन्त अतीताद्धामय नहीं, किन्तु अतीताद्धा काल से अनागताद्धाकाल एक समय अधिक है और अनागताद्धाकाल से अतीताद्धा एक समय न्यून है। २६ प्रश्न-सव्वद्धा. णं भंते ! किं संखेजाओ तीयद्धाओपुच्छा। २६ उत्तर-गोयमा ! णो संखेजाओ तीयद्धाओ, णो असंखेजाओ, णो अणंताओ तीयद्धाओ । सव्वद्धा णं तीयद्धाओ साइरेगदुगुणा, तीयद्धा णं सम्बद्धाओ थोचूणए अद्धे । .. भावार्थ-२६ प्रश्न-हे भगवन् ! सर्वाता संख्यात अतीताद्धा रूप है ? २६ उत्तर-हे गौतम ! संख्यात, असंख्यात और अनन्त अतीताद्वा रूप नहीं, किन्तु अतीताद्धा काल से सर्वाद्धा कुछ अधिक द्विगुण है और अतीताद्धा काल, सर्वाद्धा से कुछ न्यून अर्द्धभाग है। १: २७ प्रश्न-सव्वद्धा णं भंते ! किं संखेजाओ अणागयद्धाओपुच्छा । २७ उत्तर-गोयमा ! णो संखेजाओ अणागयद्धाओ, णोअसंखेजाओ, अणागयद्धाओ णो अर्णताओ अणागयद्धाओ । सव्वद्धा णं अणागयद्धाओथोवूणगदुगुणा,अणागयद्धा णं सव्वद्धाओ साइरेगे अद्धे । भावार्थ-२७ प्रश्न-हे भगवन् ! सर्वाता संख्यात अनागताद्धाकाल का है? २७ उत्तर-हे गौतम ! संख्यात, असंख्यात और अनन्त अनागताद्धा Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004092
Book TitleBhagvati Sutra Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages692
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size11 MB
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