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________________ भगवती सूत्र-श. २५ उ. ५ आवलिका यावत् पुद्गल-परिवर्तन के रामय ३३४५ भावार्थ-२३ प्रश्न-हे भगवन् ! पुद्गल-परिवर्तन संख्यात अवसर्पिणी और उत्सपिणी रूप हैं ? २३ उत्तर-हे गौतम ! संख्यात और असंख्यात अवपिणी-उत्सपिणी रूप नहीं, अनन्त अवपिणी-उत्सर्पिणी रूप है । . २४ प्रश्न-तीयद्धा णं भंते ! किं संखेजा पोग्गलपरियट्टापुच्छा। २४ उत्तर-गोयमा ! णो संखेजा पोग्गलपरियट्टा, णो असं. खजा, अणंता पोग्गलपरियट्टा । एवं अणागयद्धा वि, एवं सव्वद्धा वि। ___भावार्थ-२४ प्रश्न-हे भगवन् ! अतीताद्धा (भतकाल) संख्यात पुद्गलपरिवर्तन का है. ? . २४ उत्तर-हे गौतम ! संख्यात और असंख्यात पुद्गल-परिवर्तन नहीं, अनन्त पुद्गल-परिवर्तनमय है । इस प्रकार अनागताद्धा और सर्वाता भी। ... २५ प्रश्न-अणागयद्धा णं भंते ! किं संखेजाओ तीयद्धाओ, असंखजाओ, अणंताओ? २५ उत्तर-गोयमा ! णो संखेजाओ तीयद्धाओ, णो असंखे. जओ तीयद्धाओ, णो अणंताओ तीयद्धाओ । अणागयद्धाणं तीयद्धाओ समयाहिया, तीयद्धा णं अणागयद्धाओ समयूणा । भावार्थ-२५ प्रश्न-हे भगवन् ! अनागतासा (भविष्यत्काल) संख्यात अतीताता (भूतकाल,), असंख्यात अतीताखामय है या अनन्त अतीतादामय है ? Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004092
Book TitleBhagvati Sutra Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages692
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size11 MB
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