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३३४४ भगवती सूत्र - श. २५ उ. ५ आवलिका यावत् पुद्गल परिवर्तन के समय
२० उत्तर - हे गौतम! संख्यात पल्योपम और असंख्यात पल्योपम नहीं, अनन्त पल्योपम के है ।
२१ प्रश्न - ओसपिणी णं भंते! किं संखेजा सागरोवमा० ? २१ उत्तर - जहा पलिओवमस्स वत्तव्वया तहा सागरोवमस्स वि । भावार्थ - २१ प्रश्न - हे भगवन् ! अवसर्पिणी संख्यात सागरोपम की है ० ? २१ उत्तर - हे गौतम ! पत्योपम के समान सागरोपम भी है ।
२२ प्रश्न - पोग्गलपरियट्टे णं भंते! किं संखेज्जाओ ओसप्पिणीउस्सप्पिणीओ-पुच्छा ।
२२ उत्तर - गोयमा ! णो संखेज्जाओ ओसप्पिणी उस्सप्पिणीओ, णो असंखेज्जाओ, अनंताओ ओसप्पिणि-उस्सप्पिणीओ । एवं जाव सव्वद्धा ।
भावार्थ - २२ प्रश्न - हे भगवन् ! पुद्गल - परिवर्तन संख्यात अवसर्पिणी और उत्सर्पिणी का है० ?
२२ उत्तर - हे गौतम! संख्यात और असंख्यात अवसर्पिणी- उत्सर्पिणी का नहीं, अनन्त अवसर्पिणी और उत्सर्पिणी रूप है । इस प्रकार यावत् सर्वाद्धा पर्यंत ।
२३ प्रश्न - पोग्गलपरियट्टा णं भंते ! किं संखेज्जाओ ओसप्पिणी उस्सप्पिणीओ - पुच्छा ।
२३ उत्तर - गोयमा ! णो संखेज्जाओ ओसप्पिणी उस्सप्पिणीओ, असंखेजाओ, अनंताओ ओसप्पिणी उस्सप्पिणीओ ।
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