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________________ भगवती सूत्र - श. २५ उ ५ आवलिका यावत् पुद्गल परिवर्तन के समय १० प्रश्न - पोग्गल परियट्टे णं- पुच्छा । १८ उत्तर - गोयमा ! णो संखेजा पलिओवमा णो असंखेज्जा पलिओमा, अनंता पलिओवमा । एवं जाव सव्वद्धा । भावार्थ - १८ प्रश्न - हे भगवन् ! पुद्गल-परिवर्तन संख्यात पल्योपम का है ० ? १८ उत्तर - हे गौतम ! संख्यात और असंख्यात पत्योपम का नहीं, अनन्त पल्योपम का है । इसी प्रकार यावत् सर्वाद्धा पर्यन्त । · १९ प्रश्न - सागरोवमा णं भंते! किं संखेज्जा पलिओवमापुच्छा । १९ उत्तर - गोयमा ! सिय संखेज्जा पलिओवमा, सिय असंखेजा पलिओवमा, सिय अनंता पलिओवमा । एवं जाव ओसप्पिणी वि. उस्सप्पिणी वि । भावार्थ - १९ प्रश्न - हे भगवन् ! सागरोपम संख्यात पल्योपम रूप हैं ० ? १९ उत्तर - हे गौतम ! कदाचित् संख्यात पत्योपम, असंख्यात पल्योपम और कदाचित् अनन्त पल्योपम के हैं । इस प्रकार यावत् अवसर्पिणी और उत्सर्पिणी भी हैं !.. ३३४३ २० प्रश्न - पोग्गलपरियट्टा णं- पुच्छा । २० उत्तर - गोयमा ! णो संखेज्जा पलिओवमा, णो असंखेज्जा पलिभवमा, अनंता पलिओवमा । भावार्थ६- २० प्रश्न - हे भगवन् ! पुद्गल परिवर्तन संख्यात पत्थोपम रूप हैं ० ? Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004092
Book TitleBhagvati Sutra Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages692
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size11 MB
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