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________________ ३३४२ . भगवती सूत्र-श. २५ उ. ५ आवलिका यावत् पुद्गल-परिवर्तन के समय भावार्थ-१५ प्रश्न-हे भगवन् ! पुद्गल-परिवर्तन संख्यात आवलिका ? १५ उत्तर-हे गौतम ! संख्यात आवलिका और असंख्यात आवलिका के नहीं, किंतु अनन्त आवलिका के हैं। ___ १६ प्रश्न-थोवे णं भंते ! किं संखेजाओ आणापाणूओ, असंखेजाओ० ? १६ उत्तर-जहा आवलियाए वत्तव्वया एवं आणापाणूओ, वि गिरवसेसा । एवं एएणं गमएणं जाव सीसपहेलिया भाणियव्वा । भावार्थ-१६ प्रश्न-हे भगवन् ! स्तोक संख्यात आनप्राण का है या असंख्यात आनप्राण रूप है. ? १६ उत्तर-हे गौतम ! आवलिका के समान आनप्राण भी है। इसी प्रकार पूर्वोक्त गमक से यावत् शीर्षप्रहेलिका तक समझना चाहिये । १७ प्रश्न-सागरोवमे णं भंते ! किं संखेजा पलिओवमापुच्छा। १७ उत्तर-गोयमा ! संखेजा पलिओवमा, णो असंखेजा पलिओवमा, णो अणंता पलिओवमा । एवं ओसप्पिणीए वि उस्सप्पिणीए वि। भावार्थ-१७ प्रश्न-हे भगवन् ! सागरोपम संख्यात पल्योपम का है. ? १७ उत्तर-हें गौतम ! संख्यात पल्योपम का है, असंख्यात और अनन्त पल्योपम का नहीं । इसी प्रकार अवसर्पिणी और उत्सर्पिणी भी है। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004092
Book TitleBhagvati Sutra Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages692
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size11 MB
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