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________________ .. ३३४० भगवतो सूत्र-श. २५ उ. ५ आवलिका यावत् पुद्गल-परिवर्तन के समय १० उत्तर-गोयमा ! संखेजाओ आवलियाओ, णो असंखेजाओ आवलियाओ, णो अणंताओ आवलियाओ। एवं थोवे वि एवं जाव 'सीसपहेलिय' ति। भावार्थ-१० प्रश्न-हे भगवन् ! आनप्राण संख्यात आवलिका रूप है.? १० उत्तर-हे गौतम ! संख्यात आवलिका का है, असंख्यात या अनन्त आवलिका का नहीं है । इस प्रकार स्तोक यावत् शीर्षप्रहेलिका पर्यन्त । ११ प्रश्न-पलिओवमे णं भंते ! किं संखेजा ३-पुच्छा । ११ उत्तर-गोयमा ! णो संखेजाओ आवलियाओ, असंखे. जाओ आवलियाओ, णो अणंताओ आवलियाओ। एवं सागरोवमे वि एवं ओसप्पिणी वि उस्मप्पिणी वि। भावार्थ-११ प्रश्न-हे भगवन ! पल्योपम संख्यात आवलिका रूप हैं.? ११ उत्तर-हे गौतम ! संख्यात आवलिका का भी नहीं और अनन्त आवलिका का भी नहीं, किन्तु असंख्यात आवलिका का है। इसी प्रकार - सागरोपम, अवसपिणी और उत्सपिणो भी हैं। १२ प्रश्न-पोग्गलपरियट्टे-पुच्छा। १२ उत्तर-गोयमा ! णो संखेजाओ आवलियाओ, णो असंखे. जाओ आवलियाओ, अणंताओ आवलियाओ। एवं जाव सव्वदा । ____ भावार्थ-१२ प्रश्न-हे भगवन् ! पुद्गल-परिवर्तन कितने आवलिका का है .? १२ उत्तर-हे गोतम ! संख्यात आवलिका और असंख्यात आवलिका का नहीं है, अनन्त आवलिका का है। इसी प्रकार यावत् सर्वाद्धा पर्यन्त । Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004092
Book TitleBhagvati Sutra Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages692
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size11 MB
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