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________________ भगवती सूत्र - श. २५ उ. ४ अस्तिकाय के मध्य प्रदेश १३१ प्रश्न – कइ णं भंते ! आगासत्थिकायस्स मज्झपएसा पण्णत्ता ? ३३३४ १३१ उत्तर - एवं चैव । भावार्थ - १३१ प्रश्न - हे भगवन् ! आकाशास्तिकाय के मध्य प्रदेश कितने कहे हैं ? १३१ उत्तर - हे गौतम ! इसी प्रकार आठ कहे हैं । 1 १३२ प्रश्न - कइ णं भंते ! जीवत्थिकायस्स मज्झपएसा पण्णत्ता ? १३२ उत्तर - गोयमा ! अट्ठ जीवत्थिकायस्स मज्झपएसा पण्णत्ता । भावार्थ - १३२ प्रश्न - हे भगवन् ! जीवास्तिकाय के मध्य प्रदेश कितने कहे हैं ? १३२ उत्तर - हे गौतम ! जीवास्तिकाय के मध्य प्रदेश आठ कहे हैं । १३३ प्रश्न - एए णं भंते ! अट्ठ जीवत्थिकायस्स मज्झपएसा कहसु आगासपएसेसु ओगाहंति ? १३३ उत्तर - गोयमा ! जहणेणं एक्कंसि वा दोहिं वा तोहिं वा चउहिंवा पंचहिं वा छहिं वा उक्कोसेणं अनुसु, णो चेव णं सत्तसु । Jain Education International ॥ 'सेवं भंते ! सेवं भंते !' ति ॥ || पणवीस मेस चउत्थो उद्देसो समत्तो || भावार्थ - १३३ प्रश्न - हे भगवन् ! जीवास्तिकाय के ये आठ मध्य प्रदेश आकाशास्तिकाय के कितने प्रदेशों में समा सकते हैं ? १३३ उत्तर - हे गौतम ! जघन्य एक, दो, तीन, चार, पाँच, छह और For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004092
Book TitleBhagvati Sutra Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages692
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size11 MB
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