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________________ भगवती सूत्र - २५ उ. ४ अस्तिकाय के मध्य प्रदेश परमाणु-पुद्गल आदि सभी के अल्प- बहुत्व अधिकार में द्रव्यार्थ के विचार में परमाणु- पुद्गल के साथ सर्व-कम्पक और निष्कम्पक- ये दो विशेषण लगाये हैं तथा संख्यात प्रदेशी असंख्यात प्रदेशी और अनन्त प्रदेशी, इन तीनों के साथ देश-कम्पक, सर्व-कम्पक और निष्कम्पक- ये तीन विशेषण लगाये हैं । इस प्रकार य ग्यारह पद होते हैं । प्रदेशार्थ के विषय में भी ये ही ग्यारह पद होते हैं । द्रव्यार्थ प्रदेशार्थं उभय के विचार में बाईस पद न बता कर बीस ही पद बताये हैं, इसका कारण यह है कि सकम्पं और निष्कम्प परमाणुओं के द्रव्यार्थ और प्रदेशार्थ, इन दो पदों के स्थान में 'द्रव्यार्थ - अप्रदेशार्थ' यह एक ही पद बनता है। इस प्रकार द्रव्यार्थ प्रदेशार्थ इस उभय पक्ष में बीस ही पद बनते हैं । अस्तिकाय के मध्य-प्रदेश ३३३३ १२९ प्रश्न - कइ णं भंते ! धम्मत्थिकायस्स मज्झपएसा पण्णत्ता ? १२९ उत्तर - गोयमा ! अट्ठ धम्मत्थिकायस्स मज्झपएसा पण्णत्ता । कठिन शब्दार्थ - मज्झपएसा -- मध्य प्रदेश -- बीच के प्रदेश । भावार्थ - १२९ प्रश्न - हे भगवन् ! धर्मास्तिकाय के मध्य प्रदेश कितने कहे हैं ? - १२९ उत्तर - हे गौतम ! धर्मास्तिकाय के मध्य प्रदेश आठ कहे हैं । Jain Education International १३० प्रश्न – कइ णं भंते ! अधम्मत्थिकायस्स मज्झपएसा पण्णत्ता ? १३० उत्तर - एवं चैव । भावार्थ - १३० प्रश्न - हे भगवन् ! अधर्मास्तिकाय के मध्य प्रदेश कितने कहे हैं ? १३० उत्तर - हे गौतम ! इसी प्रकार आठ कहे हैं । For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004092
Book TitleBhagvati Sutra Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages692
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size11 MB
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