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भगवती सूत्र--श. २५ उ. ४ पुद्गल सकम्प-निष्कम्प
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१०२ प्रश्न-दुपएसिए णं भंते ! खंधे-पुच्छा।
१०२ उत्तर-गोयमा ! सिय देसेए, सिय सम्वेए, सिय गिरेए । एवं जाव अणंतपएसिए।
भावार्थ-१०२ प्रश्न-हे भगवन् ! द्विप्रदेशी स्कन्ध ?
१०२ उत्तर-हे गौतम ! कदाचित् देश कम्पक, कदाचित् सर्व कम्पक और कदाचित् निष्कम्पक होता है । इस प्रकार यावत् अनन्त प्रदेशी स्कन्ध पर्यत ।
१०३ प्रश्न-परमाणुपोग्गला णं भंते ! किं देसेया, सव्वेया, णिरेया ?
१०३ उत्तर-गोयमा ! णो देसेया, सव्वेया वि, णिरेया वि ।
भावार्थ-१०३ प्रश्न-हे भगवन् ! परमाण-पुद्गल (बहुत) देश कम्पक, सर्व कम्पक या निष्कम्पक होते है ?
१०३ उत्तर-हे गौतम ! देश कम्पक नहीं होते, वे सर्व कम्पक भौ होते हैं और निष्कम्पक भी।
१०४ प्रश्न-दुपएसिया णं भंते ! खंधा-पुच्छा।
१०४ उत्तर-गोयमा ! देसेया वि, सव्वेया वि, णिरेया वि। एवं जाव अणंतपएसिया।
भावार्थ-१०४ प्रश्न-हे भगवन् ! विप्रवेशी स्कन्ध ?
१०४ उत्तर-हे गौतम ! देश कम्पक भी होते हैं, सर्व कम्पक भी होते हैं और निष्कम्पक भी होते हैं । इस प्रकार यावत् अनन्त प्रवेशी स्कन्ध पर्यंत ।
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