SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 163
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ३३१४ . भगवती सूत्र-श. २५ उ. ४ पुद्गल सकम्प-निष्कम्प उक्कोसेणं अणंतं कालं। प्रश्न-णिरेयस्स केवइयं कालं अंतरं होइ ? उत्तर--गोयमा ! सट्ठाणंतरं पडुच्च जहण्णेणं एवकं समयं, उनको सेणं आवलियाए असंखेजइभागं, परट्ठाणंतरं पडुच्च जहण्णेणं एवक समयं, उक्कोसेणं अर्णतं कालं । एवं जाव अणंतपएसियस्स। . भावार्थ-९६ प्रश्न-हे भगवन् ! सकम्प द्विप्रदेशी स्कन्ध का अन्तर कितने काल का होता है ? ९६ उत्तर-हे गौतम ! स्वस्थान की अपेक्षा जघन्य एक समय और उत्कृष्ट असंख्यात काल तथा परस्थान आश्रयी जघन्य एक समय और उत्कृष्ट अनन्त काल का अन्तर होता है। . प्रश्न-हे भगवन् ! निष्कम्प द्विप्रदेशी स्कन्ध का अन्तर कितने काल का होता है ? उत्तर-हे गौतम ! स्वस्थानाश्रयी अन्तर जघन्य एक समय और उत्कृष्ट आवलिका के असंख्यातवें भाग का तथा परस्थानश्रयी जघन्य एक समय और उत्कृष्ट अनंत काल का अन्तर होता है । इस प्रकार यावत् अनंत प्रदेशी स्कन्ध तक जानना चाहिये। ९७ प्रश्न--परमाणुपोग्गलाणं भंते ! सेयाणं केवइयं कालं अंतरं होइ ? ९७ उत्तर--गोयमा ! त्थि अंतरं । प्रश्न---णिरेया णं केवइयं कालं अंतरं होइ ? उत्तर:-गोयमा ! णत्थि अंतरं । एवं जाव अणंतपएसियाणं खंधाणं। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004092
Book TitleBhagvati Sutra Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages692
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy