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भगवती सूत्र-श. २५ उ. ४ पुद्गल सकम्प-निष्कम्प
उक्कोसेणं अणंतं कालं।
प्रश्न-णिरेयस्स केवइयं कालं अंतरं होइ ?
उत्तर--गोयमा ! सट्ठाणंतरं पडुच्च जहण्णेणं एवकं समयं, उनको सेणं आवलियाए असंखेजइभागं, परट्ठाणंतरं पडुच्च जहण्णेणं एवक समयं, उक्कोसेणं अर्णतं कालं । एवं जाव अणंतपएसियस्स। .
भावार्थ-९६ प्रश्न-हे भगवन् ! सकम्प द्विप्रदेशी स्कन्ध का अन्तर कितने काल का होता है ?
९६ उत्तर-हे गौतम ! स्वस्थान की अपेक्षा जघन्य एक समय और उत्कृष्ट असंख्यात काल तथा परस्थान आश्रयी जघन्य एक समय और उत्कृष्ट अनन्त काल का अन्तर होता है।
. प्रश्न-हे भगवन् ! निष्कम्प द्विप्रदेशी स्कन्ध का अन्तर कितने काल का होता है ?
उत्तर-हे गौतम ! स्वस्थानाश्रयी अन्तर जघन्य एक समय और उत्कृष्ट आवलिका के असंख्यातवें भाग का तथा परस्थानश्रयी जघन्य एक समय और उत्कृष्ट अनंत काल का अन्तर होता है । इस प्रकार यावत् अनंत प्रदेशी स्कन्ध तक जानना चाहिये।
९७ प्रश्न--परमाणुपोग्गलाणं भंते ! सेयाणं केवइयं कालं अंतरं होइ ?
९७ उत्तर--गोयमा ! त्थि अंतरं । प्रश्न---णिरेया णं केवइयं कालं अंतरं होइ ?
उत्तर:-गोयमा ! णत्थि अंतरं । एवं जाव अणंतपएसियाणं खंधाणं।
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