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________________ भगवती सूत्र - श. २५ उ. ४ गुद्गल सकम्प - निष्कम्प ९४ उत्तर - गोयमा ! सट्टाणंतरं पडुच जहणणेणं एक्कं समयं, उक्कोमेणं असंखेज्जं कालं, परट्टाणंतरं पडुच्च जहण्णेणं एक्कं समयं, . उक्को सेणं असंखेज्जं कालं । भावार्थ - ९४ प्रश्न - हे भगवन् ! सकम्प परमाणु- पुद्गल का कितने काल का अन्तर होता है ? ९४ उत्तर - हे गौतम! स्वस्थान को अपेक्षा जघन्य एक समय और उत्कृष्ट असंख्य काल और परस्थान से जघन्य एक समय और उत्कृष्ट असंख्यात काल का अन्तर होता है । ३३१३ ९५ प्रश्न - णिरेस केवइयं कालं अंतरं होइ ? ९५ उत्तर - गोमा ! साणंतरं पडुच्च जहणेणं एक्कं समयं, उकोसेणं आवलियाए असंखेजड़भागं परद्वाणंतरं पडुच्च जहणणं " एक्कं समयं उक्कोसेणं असंखेज्जं कालं । " भावार्थ - ९५ प्रश्न - हे भगवन् ! निष्कम्प परमाणु- पुद्गल का कितने काल का अन्तर होता है ? ९५ उत्तर - हे गौतम ! स्वस्थान की अपेक्षा जघन्य एक समय और उत्कृष्ट आवलिका का असंख्यातवां भाग का अन्तर होता है । परस्थान आश्रयी जघन्य एक समय और उत्कृष्ट असंख्य काल का अन्तर होता है । Jain Education International ९६ प्रश्न - - -दुपए सियस्स णं भंते ! खंधस्स सेयस्स पुच्छा । ९६ उत्तर---गोयमा ! सट्टाणंतरं पडुच्च जहण्णेणं एक्कं समर्थ, उक्कोसे असंखेज्जं कालं, परट्टानंतरं पटुच्च जहणेणं एक्कं समयं, For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004092
Book TitleBhagvati Sutra Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages692
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size11 MB
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