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भगवती सूत्र - श. २५ उ. ४ पुद्गल सकम्प - निष्कम्प
भावार्थ - ८६ प्रश्न - हे भगवन् ! संख्यात प्रदेशी स्कन्ध, सार्द्ध है या अनर्द्ध ? ८६ उत्तर - हे गौतम ! कदाचित् सार्द्ध और कदाचित् अनर्द्ध है । इसी प्रकार असंख्यात प्रदेशी और अनन्त प्रदेशी भी है
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८७ प्रश्न - परमाणुपोग्गला णं भंते ! किं सड्ढा अणड्ढा ? ८७ उत्तर - गोयमा ! सड्ढा वा, अणड्ढा वा । एवं जाव अनंतएसिया ।
भावार्थ - ८७ प्रश्न - हे भगवन् ! परमाणु- पुद्गल (बहुत) सार्द्ध हैं या अनर्द्ध ? ८७ उत्तर - हे गौतम! सार्द्ध हैं या अनर्द्ध हैं । इसी प्रकार यावत् अनन्त प्रदेशी स्कन्ध पर्यन्त ।
विवेचन - सम संख्या वाले प्रदेशों के जो स्कन्ध होते हैं, वे सार्द्ध होते हैं । क्योंकि उनके बराबर दो भाग हो सकते । विषम संख्या वाले प्रदेशों के जो स्कन्ध होते हैं, वे अनर्द्ध होते हैं, क्योंकि उनके दो बराबर भाग नहीं हो सकते ।
जब बहुत परमाणु सम संख्या वाले होते हैं, तब वे सार्द्ध होते हैं और जब विषम संख्या वाले होते हैं, तब अमर्द्ध होते हैं। क्योंकि संघात (परस्पर मिलना ) और भेद ( पृथक होना) से उनकी संख्या अवस्थित नहीं होती। इसलिये वे सार्द्ध और अनर्द्ध दोनों प्रकार के होते हैं ।
पुद्गल सकम्प - निष्कम्प
८८ प्रश्न - परमाणुपोग्गले णं भंते ! किं सेए, णिरेए ?
८८ उत्तर - गोयमा ! सिय सेए, सिय णिरेए। एवं जाव अनंत
पएसिए ।
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