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________________ भगवती सूत्र - श. २५ उ. ४ पुद्गल और युग्म यावत् कल्योज समय की स्थिति वाले हैं। विधानादेश से कृतयुग्म समय की स्थिति के भी यावत् कल्योज समय की स्थिति के भी हैं । इसी प्रकार यावत्अनन्त प्रदेशी स्कन्ध पर्यंत । ८१ प्रश्न - परमाणुपोग्गले णं भंते! कालवण्णपज्जवेहिं किं जुम्मे तेओगे ? ८१ उत्तर - जहा टिईए वत्तत्व्वया एवं वण्णेसु वि सव्वेसु, गंधेसु वि एवं चेव, (एवं ) रसेसु वि जाव 'महुरो रसो 'ति । ३३०७ भावार्थ - ८१ प्रश्न हे भगवन् ! परमाणु- पुद्गल काले वर्ण के पर्यायों की अपेक्षा कृतयुग्म है या त्र्योज है० ? ८१ उत्तर - हे गौतम ! स्थिति की वक्तव्यतानुसार । सभी वर्ण, गन्ध, और रस यावत् मधुर रस पर्यंत जानना चाहिए । ८२ प्रश्न - अनंत एसिया णं भंते ! खंधे कक्खडफासपज्जवेहिं किं कडजुम्मे - पुच्छा | ८२ उत्तर - गोयमा ! सिय कडजुम्मे जाव सिय कलिओगे । है । भावार्थ - ८२ प्रश्न - हे भगवन् ! अनन्त प्रदेशी स्कन्ध कर्कश स्पर्श के पर्यायों की अपेक्षा कृतयुग्मादि हैं ? ८२ उत्तर - हे गौतम! ओघादेश से कदाचित् कृतयुग्म यावत् कल्योज ८३ प्रश्न - अनंत पएसिया णं भंते! खंधा कक्खडफासपज्जवे हिं कडजुम्मा - पुच्छा । Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004092
Book TitleBhagvati Sutra Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages692
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size11 MB
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