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________________ ३३०० भगवती सूत्र-श. २५ उ. ४ पुद्गल और युग्म सिए । णवपएसिए जहा परमाणुपोग्गले । दसपएसिए जहा दुप्पएसिए। भावार्थ-६४ प्रश्न-हे भगवन् ! चतुष्प्रदेशी स्कन्ध ? ६४ उत्तर-हे गौतम ! कृतयुग्म है, किन्तु योज, द्वापरयुग्म और कल्योज नहीं है । परमाणु-पुद्गल के समान पञ्चप्रदेशी स्कन्ध, द्विप्रदेशी स्कन्ध 'के समान छह प्रदेशी स्कन्ध, त्रिप्रदेशी स्कन्धवत् सप्त प्रदेशी स्कन्ध, चतुप्रष्देशी स्कन्धवत् अष्टप्रदेशी स्कन्ध, परमाणु-पुद्गल के समान नौ प्रदेशी स्कन्ध और विप्रवेशी स्कन्ध जैसा दस प्रवेशी स्कन्ध जानना चाहिए। .. ६५ प्रश्न-संखेजपएसिए णं भंते ! पोग्गले-पुच्छा। ६५ उत्तर-गोयमा ! सिय कडजुम्मे जाव सिय कलिओए। एवं असंखेजपएसिए वि, अणंतपएसिए वि। भावार्थ-६५ प्रश्न-हे भगवन् ! संख्यात प्रदेशी स्कन्ध ? ६५ उत्तर-हे गौतम ! कदाचित् कृतयुग्म यावत् कल्योज है । इस प्रकार असंख्यात प्रदेशी और अनन्त प्रदेशी स्कन्ध भी है। ६६ प्रश्न-परमाणुपोग्गला णं भंते ! पएसट्टयाए किं कडजुम्मापुच्छा । ६६ उत्तर-गोयमा ! ओघादेसेणं सिय कडजुम्मा जाव सिय कलिओगा विहाणादेसेणं णो कडजुम्मा, णो तेओगा, णो दावरजुम्मा, कलिओगा। भावार्थ-६६ प्रश्न-हे भगवन् ! परमाणु-पुद्गल, (बहुत) प्रदेशार्थ से कृतयुग्मादि हैं ? Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004092
Book TitleBhagvati Sutra Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages692
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size11 MB
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