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________________ भगवती सूत्र -श, २५ उ. ४ पुद्गल और युग्म ६६. उत्तर - हे गौतम् ! ओघादेश से कदाचित् कृतयुग्न यावत् कल्योज हैं। विधानादेश से कृतयुग्म, ज्योज और द्वापरयुग्म नहीं हैं, किंतु कल्योज हैं । ६७ प्रश्न - दुष्पपसिया णं-पुच्छा । ६७ उत्तर - गोयमा ! ओघादेसेणं सिय कडजुम्मा, णो तेओगा, मिय दावरजुम्मा णो कलिओगा । विहाणादेसेणं णो कडजुम्मा, णो तेओगा, दावरजुम्मा, णो कलिओगा । ३३०१ भावार्थ - ६७ प्रश्न - हे भगवन् ! द्विप्रदेशी स्कन्ध० ? ६७ उत्तर - हे गौतम ! ओघादेश से कदाचित् कृतयुग्म और कदाचित् द्वापरयुग्म हैं, किन्तु ज्योज और कल्योज नहीं हैं। विधानादेश से कृतयुग्म, योज और कल्योज नहीं, द्वापरयुग्म हैं । ६८ प्रश्न - तिपएसिया णं - पुच्छा । - ६८ उत्तर - गोयमा ! ओघादेसेणं सिय कडजुम्मा जाव सिय कलिगा । विहाणादेसेणं णो कडजुम्मा, तेओगा, णो दावरजुम्मा, णो. कलिओगा । भावार्थ - ६८ प्रश्न - हे भगवन् ! त्रिप्रदेशी स्कन्ध० ? ६८ उत्तर - हे गौतम! ओघादेश से कदाचित् कृतयुग्म यावत् कल्योज | विधानादेश से कृतयुग्म, द्वापरयुग्म और कल्योज नहीं, किन्तु त्र्योज़ हैं । ६९ प्रश्न - चउप्पएसिया णं - पुच्छा । Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004092
Book TitleBhagvati Sutra Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages692
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size11 MB
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