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भगबती सूत्र - ग. २५ उ. ४ परमाणु आदि का अल्प-बहुत्व
गुणा, ते चैव परसट्टयाए संखेज्जगुणा, असंखेजपरसोगाढा पोग्गला दव्वट्टयाए असंखेजगुणा, ते चेत्र परसट्टयाए असंखेज्जगुणा ।
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भावार्थ - ५५ प्रश्न - हे भगवन् ! एक प्रदेशावगाढ़ संख्यात प्रदेशावगाढ़ और असंख्यात प्रदेशावगाढ़ पुद्गलों में द्रव्यार्थ प्रदेशार्थ और द्रव्यार्थ प्रदेशार्थ से कौन-से पुद्गल किनसे यावत् विशेषाधिक हैं ?
५५ उत्तर -- हे गौतम ! द्रव्यार्थ से -- एक प्रदेशावगाढ़ पुद्गल सब से थोड़े हैं। उनसे संख्यात प्रदेशावगाढ़ पुद्गल संख्यात गुण हैं। उनसे असंख्यात प्रदेशावगाढ़ पुद्गल असंख्यात गुण हैं । प्रदेशार्थ से-- एक प्रदेशावगाढ़ पुद्गल अप्रदेशार्थ से सब से थोड़े हैं। उनसे संख्यात प्रदेशावगाढ़ पुद्गल प्रदेशार्थ से+ संख्यात गुण हैं। उनसे असंख्यात प्रदेशावगाढ़ पुद्गल प्रदेशार्थ से असंख्यात गुण हैं । द्रव्यार्थ प्रदेशार्थ से -- एक प्रदेश!वगाढ़ पुद्गल द्रव्यार्थ अप्रदेशार्थ से सब से थोड़े हैं। उनसे संख्यात प्रदेशावगाढ़ पुद्गल द्रव्यार्थ से संख्यात गुण हैं। उनसे संख्यात प्रदेशावगाढ़ पुद्गल प्रदेशार्थ से संख्यात गुण हैं। उनसे असंख्यात प्रदेशावगाढ़ पुद्गल द्रव्यार्थ से असंख्यात गुण हैं। उनसे असंख्यात प्रदेशावगाढ़ पुद्गल प्रदेशार्थ से असंख्यात गुण हैं |
५६ प्रश्न - एएसि णं भंते! एगसमयईियाणं, संखेज्जसमय ट्टिईयाणं, असंखेज्जसमपट्टिईयाण य पोग्गलाणं० १
५६ उत्तर - जहा ओगाहणाए तहा ठिईए विभाणियव्वं अप्पा
बहुगं ।
भावार्थ - ५६ प्रश्न - हे भगवन् ! एक समय की स्थिति, संख्यांत समय की स्थिति
+ किसी-किसी प्रति में 'असंख्यात गुण' पाठ है ।
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