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भगवती सूत्र-श. २५ उ. ४ सकम्प-निष्कम्प
वे कृतयुग्म राशि रूप ही होते हैं । केवलज्ञान के पर्याय अविभागपलिच्छेद (अविभाज्य अंश) रूप होते हैं, इसलिये वे एक ही प्रकार के होते हैं। उनमें विशेषता नहीं होती।
३४ प्रश्न-कइ णं भंते ! सरीरगा पण्णता ?
३४ उत्तर-गोयमा ! पंच सरीरगा पण्णत्ता, तं जहा-ओरालिए, जाव कम्मए । एत्थ सरीरगपयं णिरवसेसं भाणियव्वं जहा. पष्णवणाए ।
भावार्थ-३४ प्रश्न-हे भगवन् ! शरीर कितने कहे हैं ?
३४ उत्तर-हे गौतम ! शरीर पांच कहे हैं। यथा-औदारिक-शरीर यावत् कार्मण-शरीर । यहां प्रज्ञापना सूत्र का बारहवां शरीर-पद सम्पूर्ण जानना चाहिये।
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MARRIME
सकम्प निष्कंप
३५ प्रश्न-जीवा णं भंते ! किं सेया णिरेया ? ३५ उत्तर-गोयमा ! जीवा सेया वि, णिरेया वि।
प्रश्न-से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ-'जीवा सेया वि णिरेया वि' ?
उत्तर-गोयमा ! जीवा दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-संसारसमा. वण्णगा य असंसारसमावण्णगा य । तत्थ णं जे ते असंसारसमा.
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