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भगवती मूत्र-श. २५ उ. ४ द्रव्यादि की अपेक्षा युग्म प्ररूपणा
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१८ उत्तर-हे गौतम ! कृतयुग्म है, किन्तु योज, द्वापरयुग्म और कल्योज नहीं है।
१९ प्रश्न-जीवा णं भंते ! पएसट्टयाए किं कडजुम्मा ०-पुच्छा।
१९ उत्तर-गोयमा ! जीवपएसे पडुच ओघादेसेण वि विहाणा. देमेण वि कडजुम्मा, णो तेओगा, णो दावजुम्मा, णो कलिओगा। सरीरपएसे पडुच्च ओघादेसेणं सिय कडजुम्मा जाब सिय कलिओगा, विहाणादेसेणं कडजुम्मा वि जाव कलिओगा वि । एवं रइया वि,
एवं जाव वेमाणिया। . प्रश्न-सिद्धा णं भंते !-पुच्छा।
उत्तर-गोयमा ! ओघादेसेण वि विहाणादेसेण वि कडजुम्मा, णो तेओगा, णो दावरजुम्मा, णो कलिओगा।
भावार्थ-१९ प्रश्न-हे भगवन् ! जीव (बहुत जीव) प्रदेशार्थ से कृतयुग्म है.? ... १९ उत्तर-हे गौतम ! प्रदेशों को अपेक्षा जीव ओघादेश से और विधानादेश से भी कृतयुग्म हैं, किन्तु योज, द्वापरयुग्म और कल्योज नहीं हैं। शरीरप्रदेशों की अपेक्षा जीव ओघादेश से कदाचित् कृतयुग्म यावत् कल्योज हैं, विधानादेश से कृतयुग्म भी हैं यावत् कल्योज भी हैं । इसी प्रकार नैरयिक यावत् वैमानिक पर्यन्त । .
प्रश्न-हे भगवन् ! सिद्ध, प्रदेशार्य से कृतयुग्म है. ?
उत्तर-हे गौतम ! ओघादेश से और विधानादेश से भी वे कृतयुग्म हैं, किन्तु ज्योज, द्वापरयुग्म और कल्योज नहीं है।
विवेचन-जीव, द्रव्य रूप से एक द्रव्य है, इसलिये वह कल्योज है और बहुत से
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