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________________ ३२७० भगवती सूत्र-श. २५ उ. ४ द्रव्यादि की अपेक्षा युग्म प्ररूपणा ___१६ उत्तर-गोयमा ! ओघादेसेणं सिय कडजुम्मा जाव सिय कलिओगा । विहाणादेसेणं णो कडजुम्मा, णो तेओगा, णो दावरजुम्मा, कलिओगा । एवं जाव सिद्धा । भावार्थ-१६ प्रश्न-हे भगवन् ! नैरयिक जीव द्रव्यार्थ से कृतयुग्म है . ? १६ उत्तर-हे गौतम ! ओघादेश से कदाचित् कृतयुग्म यावत् कल्योज हैं, विधानादेश से कृतयुग्म, त्र्योज और द्वापरयुग्म नहीं, किन्तु कल्योज हैं। इस प्रकार यावत् सिद्ध पर्यंत। १७ प्रश्न-जीवे णं भंते ! पएसट्टयाए किं कडजुम्मे-पुच्छा । १७ उत्तर-गोयमा ! जीवपएसे पडुच्च कडजुम्मे, णो तेओगे, णो दावरजुम्मे, णो कलिओगे । सरीरपएसे पडुच्च सिय कडजुम्मे जाव सिय कलिओगे । एवं जाव वेमाणिए । .. भावार्थ-१७ प्रश्न-हे भगवन् ! जीव, प्रदेशार्थ से कृतयुग्म है. ? १७ उत्तर-हे गौतम ! आत्म-प्रदेशों की अपेक्षा जीव, कृतयुग्म है, परन्तु व्योज, द्वापरयुग्म और कल्योज नहीं है। शरीर-प्रदेशों की अपेक्षा जीव कदाचित् कृतयुग्म यावत् कदाचित् कल्योज भी होता है । इस प्रकार यावत् वैमानिक पर्यंत । १८ प्रश्न-सिद्धे णं भंते ! पएसट्टयाए किं कडजुम्मे-पुच्छा। १८ उत्तर-गोयमा ! कडजुम्मे, णो तेओगे, णो दावरजुम्मे, णो कलिओगे। भावार्थ-१८ प्रश्न-हे भगवन् ! सिद्ध, आत्म-प्रदेशार्थ से कृतयुग्म है ? Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004092
Book TitleBhagvati Sutra Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages692
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size11 MB
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