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________________ भगवती सूत्र - श. २५ उ. ४ द्रव्यादि की अपेक्षा युग्म प्ररूपणा १ उत्तर - हे गौतम ! युग्म (राशि) चार प्रकार के कहे हैं। यथाकृतयुग्म यावत् कल्योज । प्रश्न - हे भगवन् ! चार युग्म क्यों कहे हैं ? उत्तर- हे गौतम ! अठारहवें शतक के चौथे उद्देशकानुसार, यावत् इसलिये हे गौतम ! इस प्रकार कहा है । ३२६३ -२ प्रश्न - णेरइयाणं भंते ! कइ जुम्मा पण्णत्ता ? २ उत्तर - गोयमा चत्तारि जुम्मा पण्णत्ता, तं जहा - कडजुम्मे जाव कलिओए । प्रश्न - से केणट्टेणं भंते ! एवं वुच्चइ - 'रइयाणं चत्तारि जुम्मा पण्णत्ता, तं जहा - कडजुम्मे ० १ उत्तर - अट्टो तहेव । एवं जाव वाउकाइयाणं । Jain Education International भावार्थ-२ प्रश्न हे भगवन् ! नैरयिकों में कितने युग्म कहे हैं ? २ उत्तर - हे गौतम! चार युग्म कहे हैं। यथा- कृतयुग्म यावत् कल्योज । प्रश्न - हे भगवन् ! क्या कारण है कि नैरयिकों के चार युग्म कहे हैं ? उत्तर - हे गौतम! पूर्ववत्, यावत् वायुकायिक पर्यन्त । ३ प्रश्न - वणस्सइकाइयाणं भंते ! - पुच्छा । १३ उत्तर - गोयमा ! वणस्सइकाइया सिय कडजुम्मा, सिय तेओगा, सिय दावरजुम्मा, सिय कलिओगा । प्रश्न - से केणट्टेणं भंते ! एवं वुच्चह - 'वणस्सइकाइया जाव कलिओगा' ? For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004092
Book TitleBhagvati Sutra Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages692
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size11 MB
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