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भगवती सूत्र - श. २५ उ. ३ श्रेणी निरूपण
५२ प्रश्न-सेढीओ णं भंते ! दव्वटुयाए किं कडजुम्माओ, तेओयाओ - पुच्छा ।
५२ उत्तर - गोयमा ! कडजुम्माओ, णो तेओयाओ, णो दावरजुम्माओ, णो कलिओगाओ । एवं जाव उड्ढमहाययाओ । लोगागाससेढीओ एवं चैव । एवं अलोगागाससेढीओ वि ।
भावार्थ - ५२ प्रश्न - हे भगवन् ! आकाश की श्रेणियां द्रव्यार्थ से कृतयुग्म हैं, त्र्योज हैं० ?
५२ उत्तर-हे गौतम ! वे कृतयुग्म हैं, किन्तु त्र्योज, द्वापरयुग्म और कल्योज नहीं हैं । इसी प्रकार ऊर्ध्व-अधो लम्बी श्रेणियां भी जाननी चाहिये । लोकाकाश की श्रेणियां और अलोकाकाश की श्रेणियां भी इसी प्रकार हैं ।
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पुच्छा।
५३ प्रश्न - सेढीओ णं भंते ! परसट्टयाए किं कडजुम्माओ० -
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५३ उत्तर एवं चैव एवं जाव उढमहाययाओ ।
भावार्थ - ५३ प्रश्न - हे भगवन् ! प्रदेशार्थ से श्रेणियां कृतयुग्म हैं० ? ५३ उत्तर - हे गौतम ! पूर्ववत्, यावत् ऊर्ध्व-अधो लम्बी श्रेणियां भी है ।
५४ प्रश्न - लोगागाससेढीओ णं भंते ! परसट्टयाए - पुच्छा ? ५४ उत्तर - गोयमा ! सिय कडजुम्माओ, णो तेओयाओ, सिय दावरजुम्माओ, णो कलिओगाओ । एवं पाईणपडीणाययाओ वि,
दाहिणुत्तराययाओ वि ।
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