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________________ ३२५२ भगवती सूत्र-श. २५ उ. ३ श्रेणी निरूपण भावार्थ-५४ प्रश्न-हे भगवन् ! लोकाकाश की श्रेणियां प्रदेशार्थ से कृतयुग्म हैं ? ५४ उत्तर-हे गौतम ! कदाचित् कृतयुग्म है, व्योज नहीं है, कदाचित् द्वापरयुग्म है, परन्तु कल्योज नहीं है। इस प्रकार पूर्व-पश्चिम लम्बी तथा • दक्षिण-उत्तर लम्बी श्रेणियां भी हैं। ___५५ प्रश्न-उड्ढमहाययाओ f०-पुच्छा ? ५५ उत्तर-गोयमा ! कडजुम्माओ, णो तेओयाओ, णो दावरजुम्माओ, णो कलिओगाओ। भावार्थ-५५ प्रश्न-हे भगवन् ! ऊर्ध्व-अधो लम्बी लोकाकाश की श्रेणियां प्रदेशार्थ से कृतयुग्म हैं ? . ५५ उत्तर-हे गौतम ! वे कृतयुग्म हैं, किन्तु योज, द्वापरयुग्म और कल्योज नहीं हैं। ५६ प्रश्न-अलोगागाससेढीओ णं भंते ! पएसट्टयाए-पुच्छा ? : ५६ उत्तर-गोयमा ! सिय कडजुम्माओ. जाव सिय कलि. ओगाओ। एवं पाईणपडीणाययाओ वि, एवं दाहिणुत्तराययाओ वि, उड्ढमहाययाओ वि एवं चेव । णवरं णो कलिओगाओ, सेसं तं चेव । भावार्थ-५६ प्रश्न-हे भगवन् ! प्रदेशार्थ से अलोकाकाश की श्रेणियां कृतयुग्म हैं ? - ५६ उत्तर-हे गौतम ! कदाचित् कृतयुग्म यावत् कदाचित् कल्योज है । इसी प्रकार पूर्व-पश्चिम लम्बी तथा दक्षिण-उत्तर लम्बी तथा ऊर्ध्व-अधो लम्बी श्रेणियां भी हैं, परन्तु वे कल्योज नहीं हैं, शेष पूर्ववत् । Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004092
Book TitleBhagvati Sutra Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages692
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size11 MB
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