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भगवती सूत्र-श. २४ उ."१९ चोरिन्द्रिय जीवों की उत्पत्ति
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गमकों का संवेध काल सूचित किया हुआ समझना चाहिये, क्योंकि उनमें भी आठ भव होते हैं। एकेन्द्रिय और विकलेन्द्रियों के साथ प्रथम, द्वितीय, चतुर्थ और पंचम-इन चार गमकों का संवेध भवादेश से संख्यात भव और कालादेश से संख्यात काल जानना चाहिये।
॥ चौबोमवें शतक का अठारहवां उद्देशक सम्पूर्ण ॥
MARRIAL
शतक २४ उद्देशक १६
चौरिन्द्रय जीवों की उत्पत्ति
१ प्रश्न-चरिंदिया णं भंते ! कओहिंतो उववज्जति ?
१ उत्तर-जहा तेइंदियाणं उद्देसओ तहेव चरिंदियाण वि । णवरं ठिई संवेहं च जाणेजा।
* 'सेवं भंते ! सेवं भंते' ! ति ® ॥ चउवीसइमे सए एगूणवीसइमो उद्देसो ममत्तो ॥ भावार्थ-१ प्रश्न-हे भगवन् ! चौरिन्द्रिय जीव कहाँ से आ कर उत्पन्न होते हैं? . १ उत्तर-हे गौतम ! जिस प्रकार तेइन्द्रिय का उद्देशक कहा, उसी
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