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________________ भगवती सूत्र-श. २० उ. १ पंवेन्द्रिय जीवों के शरीरादि २८३१ - भावार्थ-४ प्रश्न-हे भगवन् ! कदाचित् दो, तीन, चार या पांच आदि पञ्चेन्द्रिय मिल कर एक साधारण-शरीर बांधते हैं, इत्यादि प्रश्न । ४ उत्तर-हे गौतम ! पूर्ववत् बेइन्द्रियों के समान । विशेषता यह कि इनके छहों लेश्याएँ और तीनों दृष्टियां होती हैं । चार ज्ञान और तीन अज्ञान भजना (विकल्प) से होते हैं । तीन योग होते हैं। ५ प्रश्न-हे भगवन् ! उन जीवों को-'हम आहार ग्रहण करते हैं'ऐसी संज्ञा, प्रज्ञा, मन और वचन होता है ? । ५ उर-हे गौतम ! कितने ही जीवों को (संजी जीवों को)-'हम आहार करते हैं'-ऐसी संज्ञा, प्रज्ञा, मन और वचन होता है और कितने ही जीवों को (असंज्ञी जीवों को) 'हम आहार ग्रहण करते हैं'-ऐसी संज्ञा यावत् वचन नहीं होता, परन्तु वे आहार ग्रहण करते हैं। ___विवेचन--पञ्चेन्द्रिय जीवों में मतिज्ञान आदि चार ज्ञान होते हैं । केवलज्ञान अनिन्द्रियों को होता है। __'हम आहार ग्रहण करते हैं'-इस प्रकार का ज्ञान, संज्ञी जीवों को होता है, असंज्ञी जीवों को नहीं। ६ प्रश्न-तेसि णं भंते ! जीवाणं एवं सण्णा इ वा जाव वई इ वा-'अम्हे णं इटाणिटे सदे, इटाणिटे रूवे, इट्टाणिटे गंधे, इट्टाणिढे रसे, इट्टाणिढे फासे पडिसंवेएमो' ? ६ उत्तर-गोयमा ! अत्थेगइयाणं एवं सण्णा इ वा जाव वई इ वा-'अम्हे णं इट्टाणिटे सद्दे, जाव इटाणिढे फासे पडिसंवेएमो,' अत्थेगइयाणं णो एवं सण्णा इ वा जाव वई इ वा-'अम्हे णं इट्टा. णिटे सद्दे जाव इटाणिढे फासे पडिसंवेएमो, पडिसंवेएंति पुण ते।' Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004091
Book TitleBhagvati Sutra Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages566
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size9 MB
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