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भगवती सूत्र - २० उ. १ पंचेन्द्रिय जीवों के शरीरादि
भावार्थ - ६ प्रश्न - हे भगवन् ! उन जीवों को - ' हम इष्ट या अनिष्ट शब्द रूप, गन्ध, रस और स्पर्श का अनुभव करते हैं' - ऐसी संज्ञा यावत् वचन होता है ?
७ उत्तर - हे गौतम ! हम इष्ट या अनिष्ट शब्द यावत स्पर्श का अनुभव करते हैं- ऐसी संज्ञा यावत् वचन कई ( संज्ञी) जीवों को होता है और कई (असंज्ञी) जीवों को नहीं होता, परन्तु वे शब्द आदि का संवेदन करते हैं।
७ प्रश्न - ते णं भंते ! जीवा किं पाणाड़वाए उबक्खाइजं ति० ? ७ उत्तर - गोयमा ! अत्थेगइया पाणाइवाए वि उवक्खाइजंति जोव मिच्छादंसणसल्ले वि उवक्वाइजति, अत्थेगइया णो पाणाइवाए उवस्खाइज्जति, णो मुसा० जाव णो मिच्छादंसणसल्ले उवक्खाइज्जति । जेसिं पि णं जीवाणं ते जीवा एवमाहिज्जंति तेसिं पिणं जीवाणं अत्येगइयाणं विष्णाए णाणत्ते, अत्येगइयाणं णो विष्णाए णाणते उववाओ सव्वओ जाव सव्वट्टसिद्धाओ, ठिई जहण्णेण अंतोमुहूत्तं, उकोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाई, छस्ममुग्धाया केवलिवज्जा, उणा सव्वत्थ गच्छेति जाव सव्वट्टसिद्धं इ, सेसं जहा बेइंदियाणं ।
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कठिन शब्दार्थ -- उदवखाइज्जति कहे जाते हैं ।
भावार्थ - 9 -9 प्रश्न हे भगवन् ! वे जीव प्राणातिपात में रहे हुए हैं, इत्यादि कहा जाता है ?
७ उत्तर - हे गौतम ! दर्शनशल्य में रहे हुए हैं- ऐसा
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उन जीवों में से कई प्राणातिपात यावत् मिथ्याकहा जाता है और कई जीव प्राणातिपात
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