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________________ २८३० भगवती सूत्र - २० उ. १ पंचेन्द्रिय जीवों के शरीरादि वचन होता है ? ३ उत्तर - हे गौतम ! यह अर्थ समर्थ नहीं है । वे रसादि का संवेदन अन्तर्मुहूर्त और उत्कृष्ट बारह वर्ष की होती तेइन्द्रिय और चतुरिन्द्रिय जीवों के विषय स्थिति और इन्द्रियों में अन्तर है । शेष चौथे पद के अनुसार जाननी चाहिये । विवेचन - तेइन्द्रिय जीवों के तीन इन्द्रियाँ होती हैं । उनकी स्थिति जघन्यं अन्तमुहूर्त और उत्कृष्ट ४९ अहोरात्र की होती है । चतुरिन्द्रियों के चार इन्द्रियाँ होती हैं । स्थिति जघन्य अन्तर्मुहूर्त और उत्कृष्ट छह महीनों की होती है । करते हैं । उनकी जघन्य स्थिति है । शेष सब पूर्ववत् । इस प्रकार में भी जानना चाहिये । किन्तु उनकी सब पूर्ववत् । स्थिति प्रज्ञापना सूत्र के पंचेन्द्रिय जीवों के शरीरादि ४ प्रश्न - सिय भंते! जाव चत्तारि पंच पंचिंदिया एगयओ साहारणं० ? ४ उत्तर - एवं जहा वेइंदियाणं, णवरं छल्लेसाओ, दिट्ठी तिविहा वि. चत्तारि णाणा तिष्णि अण्णाणा भयणाए तिविहो जोगो । ५ प्रश्न - तेसि णं भंते ! जीवाणं एवं सण्णा इ वा पण्णा इवा जाव वई इ वा-'अम्हे णं आहारमाहारेमो' ? ५ उत्तर - गोयमा ! अत्येगइयाणं एवं सण्णा इ वा पण्णा इवा मणे इ वा वई इ वा - 'अम्हे णं आहारमाहारेमो' । अत्थेगइयाणं णो एवं सण्णा इवा जाव वई इ वा - 'अम्हे णं आहारमाहारेमो, ' आहारेंति पुण ते । Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004091
Book TitleBhagvati Sutra Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages566
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size9 MB
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