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________________ भगवती सूत्र - श. १९ उ ८ जीव-निर्वृत्ति आदि ज्ञानावरणीय कर्म- निर्वृत्ति यावत् अन्तराय कर्म- निर्वृत्ति । इस प्रकार यावत् वैमानिक पर्यन्त । ६ प्रश्न - कविद्या णं भंते! सरीरणिव्वत्ती पण्णत्ता ? ६ उत्तर - गोयमा ! पंचविहा सरीरणिव्वत्ती पण्णत्ता, तं जहाओरालियसरीरणिव्वत्ती जाव कम्मगसरीरणिव्वत्ती । २८१३ ७ प्रश्न - रइयाणं भंते ! • ? ७ उत्तर - एवं चेव, एवं जाव वेमाणियाणं । णवरं णायव्वं जस्स जइ सरीराणि । भावार्थ - ६ प्रश्न - हे भगवन् ! शरीर-निर्वृत्ति कितने प्रकार की कही गई है ? ६ उत्तर - हे गौतम! शरीर-निर्वृत्ति पाँच प्रकार की कही गई है । यथा - औदारिक शरीर निर्वृत्ति यावत् कार्मण शरोर निर्वृत्ति । ७ प्रश्न - हे भगवन् ! नैरधिक जीबों के कितने प्रकार की शरीर-निर्वृत्ति कही गई है ? ७ उत्तर - हे गौतम! पूर्ववत् । यावत् वैमानिक तक जानना चाहिये, किन्तु जिसके जितने शरीर हों, उतने कहने चाहिये । ८ प्रश्न - कह विहाणं भंते ! सव्विदियणिव्वत्ती पण्णत्ता ? ८ उत्तर - गोयमा ! पंचविद्या सबिंदियणिव्यत्ती पण्णत्ता तं जहा- सोइंदियणिव्वती जाव फासिंदियणिव्वत्ती, एवं णेरहयाणं जाव थणियकुमाराणं । Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004091
Book TitleBhagvati Sutra Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages566
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size9 MB
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