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भगवती सूत्र-श. १९ उ. ३ चयवर्ती की दासी का दृष्टांत
चक्रवर्ती की दासी का दृष्टांत
३० प्रश्न-पुढविकाइयस्स णं भंते ! केमहालिया सरीरोगाहणा पण्णत्तो ?
३० उत्तर-गोयमा ! से जहाणामए रण्णो चाउरंतचकवट्टिस्स वण्णगपेसिया तरुणी वलयं जुगवं जुवाणी अप्पायंका० वण्णओ जाव णिउणसिप्पोवगया, णवरं चम्मेढ़-दुहण-मुट्टियसमाहयणिचियगत्तकाया ण भण्णइ, सेसं तं चेव जाव णिउणसिप्पोवगया तिक्खाए वइरामईए सण्हकरणीए तिवखेणं वइरामएणं वट्टावरएणं एगं महं पुढविकाइयं जगोलोसमोणं गहाय पडिसाहरिय प० २ पडिसंखिविय पडि० २ जाव 'इणामेव' त्ति कटु तिसत्तक्खुत्तो उप्पीसेज्जा, तत्थ णं गोयमा ! अत्थेगइया पुढविकाइया आलिद्धा अत्थेगइया पुढविकाइया णो आलिद्धा, अत्थेगइया संघट्टि (ट्ठि) या अत्थेगइया णो संघट्टि (हि) या, अत्यंगइया परियाविया अत्थेगइया णो परियाविया, अत्थेगइया उद्दविया अत्यंगड्या णो उद्दविया, अत्थेगड्या पिट्ठा अत्यंगइया णो पिट्टा, पुढविकाइयस्स णं गोयमा ! पमहालिया सरीरोगाहणा पण्णत्ता।
कठिन शब्दार्थ-वण्णगपेसिया-चन्दन घिसने वाली, तिक्खाए-तीक्ष्ण-कठोर, वइरामईए-वज्रमयी, णिउणसिप्पोवगया-कला में कुशल, चम्मेट-दुहण-मुट्टियसमाहयणिचियगत्तकाया-चर्मेष्ट दुघण और मुष्टिकादि व्यायाम से दृढ़ हुए शरीर युक्त ।
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