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________________ २५९६ . भगवती सूत्र-श । उ ५ पृरूप और ताल का को जिया ५ उत्तर-गोयमा ! जावं च णं से पुरिसे तालमारुहइ, तालमारुहित्ता तालाओ तालफलं पचालेइ वा पवाडेइ वा तावं च णं से पुरिसे काइयाए जाव पंचहिं किरियाहिं पुढे; जेसि पि णं सरीरेहिंतो ताले णिव्वत्तिए तालफले णिव्वत्तिए ते वि णं जीवा काइयाए जाव पंचहिं किरियाहिं पुट्ठा । ६ प्रश्न-अहे णं भंते ! से तालफले अप्पणो गरुयत्ताए जाव पच्चोवयमाणे जाई तत्थ पाणाइं जाव जीवियाओ ववरोवेइ तएणं भंते ! से पुरिमे कइकिरिए ? | ६ उत्तर-गोयमा ! जावं च णं से पुरिसे तालफले अप्पणो गरुयत्ताए जाव जीवियाओ ववरोवेइ तावं च णं से पुरिने काइयाए जाव चउहि किरियाहिं पुढे; जेसि पिणं जीवाणं सरीरेहिंतो तले णिवत्तिए ते वि णं जीवा काइयाए जाव चउहि किरियाहिं पुष्टा; जेसि पि णं जीवाणं सरीरेहिंतो तालफले णिवत्तिए ते वि णं जीवा काइयाए जाव पंचहिं किरियाहिं पुढा, जे वि य से जीवा अहे वीससाए पञ्चोवयमाणस्स उवग्गहे वटुंति ते वि य णं जीवा काइयाए जाव पंचहिं किरियाहिं पुट्टा । ___ ७ प्रश्न-पुरिसे णं भंते ! रुक्खस्स मूलं पचालेमाणे वा पवाडेमाणे वा कइकिरिए ? ७ उत्तर-गोयमा ! जावं च णं से पुरिसे रुक्खस्स मूलं पच . Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004090
Book TitleBhagvati Sutra Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages530
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size9 MB
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