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________________ भगवती सूत्र - १७ उ १ पुरुष और तील वृक्ष को क्रिया पूछा - " हे भगवन् ! उदायी नामक प्रधान गजराज, किस गति से मर कर यहाँ उत्पन्न हुआ ?" १ उत्तर - हे गौतम ! असुरकुमार देवों में से मर कर यहाँ उत्पन्न हुआ । २ प्रश्न - हे भगवन् ! वह उदायी नामक प्रधान हस्ती यहाँ से काल करके कहाँ जायगा ? कहां उत्पन्न होगा ? २ उत्तर - हे गौतम! इस रत्नप्रभा पृथ्वी में एक सागरोपम की उत्कृष्ट स्थिति वाले नरकावास में नैरयिक रूप से उत्पन्न होगा । ३ प्रश्न - हे भगवन् ! वह रत्नप्रभा पृथ्वी से अन्तर रहित निकल कर कहां जायगा, कहां उत्पन्न होगा ? ३ उत्तर - हे गौतम! महाविदेह क्षेत्र में जन्म ले कर सिद्ध होगा यावत् सभी दुःखों का अन्त करेगा । ४ प्रश्न - हे भगवन् ! भूतानन्द नामक प्रधान हस्ती, किस गति में से मर कर यहां उत्पन्न हुआ ? ४ उत्तर - हे गौतम! जिस प्रकार उदायी नामक प्रधान हस्ती की वक्तव्यता कही, उसी प्रकार भूतानन्द हस्तीराज की भी जाननी चाहिए यावत् वह सभी दुःखों का अन्त करेगा । २५९५ विवेचन - उदायी और भूतानन्द, ये दोनों श्रेणिक राजा के पुत्र कोणिक राजा के प्रधान हस्ती थे । पुरुष और ताल वृक्ष को क्रिया ५ प्रश्न - पुरिसे णं भंते ! तालमारुहइ, तालमारुहित्ता तालाओ तालफलं पचालेमा वा पवाडेमाणे वा कइ किरिए ? Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004090
Book TitleBhagvati Sutra Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages530
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size9 MB
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