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भगवता सूत्र-स. १६ उ. ७ उपयोग के भेद
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कठिन शब्दार्थ-उभिज्जमाणाण-खोलते हुए।
भावार्थ-३२ प्रश्न-हे भगवन् ! कोई पुरुष कोष्ठपुट (गन्ध द्रव्य का पुड़ा) यावत् केतकीपुट को खोल रहा हो अथवा यावत् एक स्थान से दूसरे स्थान ले कर जाता हो और अनुकूल हवा चलती हो, तो क्या कोष्ठ द्रव्य बहता (फैलता) है या यावत् केतकीपुट वायु में बहता है. ? ..... ....
३२ उत्तर-हे गौतम ! कोष्ठपुट यावत् केतकीपुट नहीं बहते, किन्तु गन्ध के पुद्गल बहते हैं।
हे भगवन् ! यह इसी प्रकार है । हे भगवन् ! यह इसी प्रकार है-ऐसा कह कर गौतम स्वामी यावत् विचरते हैं। .
विवेचन-कोष्ठपुट आदि सुगन्धित द्रव्य अनुकूल हवा की ओर ले जाये जाते हों, - तो उनको मुगन्ध हवा में फैल कर घ्राणग्राह्य होती है।
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॥ सोलहवें शतक का छठा उद्देशक सम्पूर्ण ।।
शतक १६ उद्देशक ७
उपयोग के भेद
१ प्रश्न-कइविहे गं भंते ! उवओगे पण्णत्ते ?
१ उत्तर-गोयमा ! दुविहे उवओगे पण्णत्ते, एवं जहा उव. योगपदं पण्णवणाए तहेव गिरवसेसं भाणियव्वं, पासणयापदं च
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