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________________ भगवती सूत्र - श. १६ उ ६ गन्ध के पुद्गल बहते हैं उसमें प्रवेश करे तथा-'मैंने इसमें प्रवेश किया है" - ऐसा माने, ऐसा स्वप्न देख कर शीघ्र जावत हो, तो वह उसी भव में मोक्ष जाता है यावत् समस्त दुःखों का अन्त करता है । २५७० ३१ - कोई स्त्री या पुरुष, स्वप्न के अन्त में सर्वरत्नमय एक महान् विमान देखे और उस पर चढ़े तथा - " मैं इसके ऊपर चढ़ गया हूँ" - ऐसा माने। इस प्रकार का स्वप्न देख कर शीघ्र जाग्रत हो, तो वह उसी भव में मोक्ष जाता है यावत् समस्त दुःखों का अन्त करता है । विवेचन -- ऊपर स्वप्न सम्बन्धी चौदह सूत्र कहे हैं । उनमें से लोह के ढ़ेर आदि तथा मदिरा आदि के घट को देखने वाला पुरुष दूसरे भव में अर्थात् मनुष्य सम्बन्धी दूसरे भव में मोक्ष जाता है । शेष बारह सूत्रों में कथित पदार्थों को देखने वाला पुरुष उसी भव में मोक्ष जाता है । गन्ध के Jain Education International पुद्गल बहते हैं ३२ प्रश्न - अह भंते! कोट्टपुडाण वा जाव केयइपुडाण वा अणुत्रायंसि उभिज्जमाणाण वा जाव ठाणाओ वा ठाणं संकामिजमाणाणं किं कोडे वाइ जाव केयई वाइ ? ३२ उत्तर - गोयमा ! णो कोट्टे वाह जाव णो केयई वाह, घाणसहगया पोग्गला वाह । * सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति || सोलसमे सए छट्टो उद्देसो समत्तो ॥ For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004090
Book TitleBhagvati Sutra Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages530
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size9 MB
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