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________________ २५५८ भगवती सूत्र-स. १६ उ. ६ तीर्थ फरादि की माता के स्वप्न १२ प्रश्न-चक्कवट्टिमायरो णं भंते ! चक्कवर्टिसि गम्भं वक्कममाणंसि कइ महासुविणे पासित्ता णं पडिवुझंति ? १२ उत्तर-गोयमा ! चक्कवट्टिमायरो चक्कवटिसि जाव वक्कममाणंसि एएसिं तीसाए महासुविणाणं०, एवं जहा तित्थयरमायरो जाव सिहिं च । १३ प्रश्न-वासुदेवमायरो णं-पुच्छा । १३ उत्तर-गोयमा ! वासुदेवमायरो जाव ववकममाणंसि एएसिं चोदसण्हं महासुविणाणं अण्णयरे सत्त महासुविणे पासित्ता णं पडि. बुझंति । १४ प्रश्न-बलदेवमायरो-पुच्छा। १४ उत्तर-गोयमा ! बलदेवमायरो जाव एएसिं चोदसण्हं महासुविणाणं अण्णयरे चत्तारि महासुविणे पासित्ता णं पडिबुझंति । १५ प्रश्न-मंडलियमायरो णं भंते !-पुच्छा। १५ उत्तर-गोयमा ! मंडलियमायरो जाव एएसिं चोदसण्हं महासुविणाणं अण्णयरं एगं महासुविणं जाव पडिबुझंति । कठिन शब्दार्थ-पडिवुझंति-जाग्रत होते ।। ११ प्रश्न-हे भगवन् ! जब तीर्थंकर का जीव गर्भ में आता है, तब तीर्थंकर की माता कितने महास्वप्न देख कर जाग्रत होती है ? ११ उत्तर-हे गौतम ! जब तीर्थंकर का जीव गर्भ में आता है, तब तीर्थंकर की माता इन तीस महास्वप्नों में से चौदह महास्वप्न देख कर जाग्रत Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004090
Book TitleBhagvati Sutra Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages530
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size9 MB
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