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भगवती सूत्र-श. १६ उ. ६ तीर्थकरादि की माता के स्वप्न
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९ उत्तर-गोयमा ! तीमं महासुविणा पण्णत्ता । १० प्रश्न-कई णं भंते ! मव्वसुविणा पण्णता ? १० उत्तर-गोयमा ! बावत्तरि सव्वसुविणा पण्णत्ता । कठिन शब्दार्थ-बावरि-बहत्तर । भावार्थ-८ प्रश्न-हे भगवन ! स्वप्न कितने प्रकार के कहे गये हैं ? ८ उत्तर-हे गौतम ! स्वप्न बयालीस प्रकार के कहे गये है। ९ प्रश्न-हे भगवन ! महास्वप्न कितने प्रकार के कहे गये हैं ? ९ उत्तर-हे गौतम ! महास्वप्न तीस प्रकार के कहे गये हैं। १० प्रश्न-हे भगवन् ! सभी स्वप्न कितने कहे गये हैं ? १० उत्तर-हे गौतम ! सभी स्वप्न बहत्तर कहे गये हैं।
विवेचन-वैसे तो स्वप्न असंख्यात प्रकार के हो सकते हैं, किन्तु विशिष्ट फल के , मूचक स्वप्नों की अपेक्षा वयालीस बतलाये गये हैं और महत्तम फल के सूचक होने से तीस महास्वप्न बतलाये गये हैं। इन दोनों को मिला कर स्वप्नों की संख्या बहत्तर बतलाई गई हैं। .
तीर्थंकरादि की माता के स्वप्न
११ प्रश्न-तित्थयरमायरो णं भंते ! तित्थयरंसि गम्भं वक्कममाणंसि कइ महासुविणे पासित्ता णं पडिबुझंति ?
११ उत्तर-गोयमा ! तित्थयरमायरो णं तित्थयरंसि गम्भं वक्कममाणंसि एएसिं तीसाए महासुविणाणं इमे चोदस महासुविणे पासित्ता णं पडिवुझंति, तं जहा-गय उसभ सीह अभिसेय जाव सिहिं च ।
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