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________________ २५५२. ... . भगवती सूत्र-स..११ ३...६ स्वप्न की अवस्था और प्रकार ९ उत्तर-हे गौतम ! उसकी स्थिति १७ सागरोपम की कही गई । १० प्रश्न-हे भगवन ! 'वह गंगवन देव वहां का आयष्य, भव और स्थिति का क्षय होने पर च्यव कर कहां जायगा ? कहां उत्पन्न होगा ? १० उत्तर-हे गौतम ! वह महाविदेह क्षेत्र में जन्म ले कर सिद्ध होगा यावत् सभी दुःखों का अन्त करेगा । हे भगवन् ! यह इसी प्रकार है । हे भगवन् ! यह इसी प्रकार हैऐसा कह कर गौतम स्वामो यावत् विचरते हैं। विवेचन-देवों में भाषा पर्याप्ति और मनःपर्याप्ति मम्मिलित बंधता है । इसलिय 'पांच पर्याप्तियों से पर्याप्त'-ऐसा कहा गया । ॥ सोलहवें शतक का पाँचवाँ उद्देशक सम्पूर्ण ।। शतक १६ उद्देशक स्वप्न की अवस्था और प्रकार १ प्रश्न-कइविहे णं भंते ! सुविणदंसणे पण्णत्ते ? १ उत्तर-गोयमा ! पंचविहे सुविणदंसणे पण्णत्ते, तं जहा१ अहातच्चे २ पयाणे ३ चिंत्तासुविणे ४ तविवरीए ५ अवत्तदंसणे । २ प्रश्न-सुत्ते णं भंते ! सुविणं पासइ, जागरे सुविणं पासइ, सुत्तजागरे सुविणं पासइ ? Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004090
Book TitleBhagvati Sutra Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages530
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size9 MB
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