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________________ २५४० भगवती सूत्र - श. १६ उ ५ द्र के आगमन का कारण सम्भावना से शक्रेन्द्र ने ये आठ प्रश्न किये हैं । शकेन्द्र इतनी शीघ्रतापूर्वक पीछे क्यों लोटा ? इसका कारण जानने के लिए गौतम स्वामी भगवान् से आगे प्रश्न करते हैं; - शक्रेन्द्र के आगमन का कारण २ प्रश्न - 'भंते' त्ति भगवं गोयमे समणं भगवं महावीरं वंदs णमंसइ, वंदित्ता णमंसित्ता एवं वयासी - अण्णया णं भंते ! सक्के देविंदे देवराया देवाणुप्पियं वंदइ णमंसइ सकारेइ जाव पज्जु - वासर, किण्णं भंते! अज्ज सक्के देविंदे देवराया देवाणुप्पियं अट्ट उक्खित्तपसिणवागरणाई पुच्छर, पुच्छित्ता संभतियवंदणएणं वंदइ णमंस, २ जाव पडिगए ? २ उत्तर - 'गोयमा' दि समणे भगवं महावीरे भगवं गोयमं एवं वयासी - ' एवं खलु गोयमा ! तेणं कालेणं तेणं समएणं महा सुके कप्पे महासामाणे विमाणे दो देवा महड्डिया जाव महेस खा एगविमानंसि देवत्ताए उववण्णा, तं जहा - मायिमिच्छदिट्टिउववण्णए य अमाथिसम्मदिट्टिउववण्णए य । तएणं से मायिमिच्छ दिग्विण्ण देवे तं अमायिसम्मदिट्टिउववण्णगं देवं एवं वयासी - 'परिणममाणा पोग्गला णो परिणया, अपरिणयाः परिणमंतीति पोग्गला णो परिणया, अपरिणया' । तरणं से अमायिसम्म दिट्टि उबवण्ण देवे तं मायिमिच्छदिट्टिउवैवण्णगं देवं एवं वयासी Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004090
Book TitleBhagvati Sutra Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages530
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size9 MB
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