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________________ २५२४ भगवती सूत्र - श. १६ उ २ केन्द्र भवसिद्धिक है x कर्म का कर्त्ता चतन्य है बोलता है, क्योंकि उसका जीव संरक्षण का प्रयत्न नहीं होने से वह असावधानीपूर्वक बोलता है । शक्रेन्द्र भवसिद्धिक है ९ प्रश्न - सक्के णं भंते! देविंदे देवराया किं भवसिद्धीए, अभवसिद्धीए, सम्मदिट्टीए ९ उत्तर - एवं जहा मोउद्देसए सणकुमारो जाव णो अचरिमे । भावार्थ - ९ प्रश्न - हे भगवन् ! देवेन्द्र देवराज शक्र भवसिद्धिक है या अभवसिद्धिक है ? सम्यग्दृष्टि है ? या मिथ्यादृष्टि, इत्यादि प्रश्न ? ९ उत्तर - हे गौतम! तीसरे शतक के प्रथम उद्देशक में सनत्कुमार के वर्णन के अनुसार यहां भी जानना चाहिये यावत् वह अचरम नहीं है । कर्म का कर्ता चैतन्य है १० प्रश्न - जीवाणं भंते ! किं चेयकडा कम्मा कज्जंति, अचेय." कडा कम्मा कज्जेति ? १० उत्तर - गोयमा ! जीवाणं चेयकडा कम्मा कज्जति, णो अकडा कम्मा कज्जति । प्रश्न - सेकेणणं भंते ! एवं वुच्चइ जाव 'कज्जंति' ? उत्तर - गोयमा ! जीवाणं आहारोवचिया पोग्गला, बोंदिचिया Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004090
Book TitleBhagvati Sutra Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages530
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size9 MB
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