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भगवती सूत्र-श. १६ उ. १ शरीर इन्द्रियां योग और अधिकरण
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कठिन शब्दार्थ-जोए-योग (मन वचन और काया की प्रवृत्ति )। भावार्थ-१० प्रश्न-हे भगवन् ! शरीर कितने प्रकार के कहे गये हैं ?
१० उत्तर-हे गौतम ! शरीर पाँच प्रकार के कहे गये हैं । यथा-औदारिक यावत् कार्मण।
११ प्रश्न-हे भगवन् ! इन्द्रियाँ कितनी कही गई है ?
११ उत्तर-हे गौतम ! पाँच कही गई है। यथा-श्रोत्रेन्द्रिय यावत् स्पर्शनेन्द्रिय ।
१२ प्रश्न-हे भगवन् ! योग कितने प्रकार के कहे गये हैं ?
१२ उत्तर-हे गौतम ! योग तीन प्रकार के कहे गये हैं। यथा-मन योग, वचन योग और काय योग ।
१३ प्रश्न-जीवे णं भंते ! ओरालियसरीरं णिवत्तमाणे किं अधिकरणी, अधिकरणं ?
१३ उत्तर-गोयमा ! अधिकरणी वि अधिकरणं पि ।
प्रश्न-से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ-'अधिकरणी वि अधिकरणं पि' ? ___ उत्तर-गोयमा ! अविरतिं पडुच, से तेणटेणं जाव अधिकरणं पि।
१४ प्रश्न-पुढविकाइए णं भंते ! ओरालियसरीरं णिवत्तेमाणे किं अधिकरणी, अधिकरणं ?
१४ उत्तर-एवं चेव, एवं जाव मणुस्से । एवं वेउब्वियसरीरं पि, णवरं जस्स अस्थि ।
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