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भगवती सूत्र - श. १६ उ. १ तप्त लोह को पकड़ने में कितनी क्रिया ?
रहता है ?
२ उत्तर - हे गौतम! जघन्य अन्तर्मुहूर्त और उत्कृष्ट तीन रात-दिन तक सचित्त रहता है । वहाँ अन्य वायुकायिक जीव भी उत्पन्न होते हैं। क्योंकि arrate के बिना अग्निकाय प्रज्वलित नहीं रहता ।
विवेचन - अग्निकाय के सम्बन्ध में जो प्रश्न किया है, उसका आशय यह है कि अग्निकाय की स्थिति जघन्य अन्तर्मुहूर्त और उत्कृष्ट तीन अहोरात्रि की है।
'यत्राग्निस्तत्रवायु : ' - इस नियम के अनुसार अग्निकाय के साथ वायुकाय के जीव भी उत्पन्न होते हैं ।
तप्त लोह को पकड़ने में कितनी क्रिया ?
३ प्रश्न - पुरिसे णं भंते ! अयं अयकोसि अयोमएणं संडास - ए उन्हमाणे वा पविमाणे वा कइ किरिए ?
३ उत्तर - गोयमा ! जावं च णं से पुरिसे अयं अयकोसि अयोमरणं संडासरणं उव्विहिति वा पव्विहिति वा, तावं च णं से पुरिसे काइगाए जाव पाणाइवायकिरियाए पंचहि किरिया हिं पुट्टे, जेसिं पिणं जीवाणं सरीरेहिंतो अए णिव्वत्तिए, अयकोट्ठे णिव्वत्तिए, संडासए णिव्वत्तिए, इंगाला णिव्वत्तिया, इंगालकड्ढणी णिव्वत्तिया भत्था णिव्वत्तिया, ते विणं जीवा काइयाए जाव पंचहिं किरियाहिं पुट्ठा ।
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४ प्रश्न - पुरिसे णं भंते ! अयं अयकोट्टाओ अयोमएणं संडास
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