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________________ भगवती सूत्र-श. १६ उ. १ अग्निकाय की स्थिति प्रश्न-हे भगवन् ! जब वाय काय मरता है, तो क्या शरीर सहित भवान्तर में जाता है या शरीर रहित ? - उत्तर-हे गौतम ! इस विषय में दूसरे शतक के प्रथम (स्कन्दक) उद्देशक के अनुसार, यावत् शरीर रहित होकर नहीं जाता-तक जानना चाहिये। विवेचन-एरण पर हथोड़ा मारते ममय एरण और हथोड़े के अभिघात से वायुकाय उत्पन्न होता है, वह अचित्त होता है। किन्तु उममे सचित्त वायु को हिसा होती है । उत्पन्न होते ममय वह अचेतन होता है और पोछे वह सचेतन हो जाता है। पृथ्वी कायादि पाँच स्थावर जीवों के साथ जब विजातीय जीवों का तथा विजातीय स्पर्श वाल पदार्थों का संघर्ष होता है, तब उनके शरीर का घात होता हैं या बिना स्पर्श आदि से ही? इस आशय को लेकर दूसरा अन्तर्प्रश्न किया गया है । जिसके उत्तर में कहा गया है कि किमी दूसरे पदार्थ (अचित्त वायु आदि) का स्पर्श होने पर वायु काय के जीव मरते हैं, बिना स्पर्श हुए नहीं। यह कथन सोपक्रम आयुष्य का अपेक्षा से है । जीव तंजस और कार्मण शरीर की अपेक्षा शरीर-सहित भवान्तर में जाता है और औदारिक शरीर आदि का अपेक्षा शरीर-रहित होकर भवान्तर में जाता है । अग्निकाय की स्थिति २ प्रश्न-इंगालकारियाए णं भंते ! अगणिकाए केवड्यं कालं संचिट्ठइ ? २ उत्तर-गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं, उनकोसेणं तिण्णि राइंदियाई । अण्णे वि तत्थ वाउयाए वक्कमइ, ण विणा वाउयाएणं अगणिकाए उज्जलइ । कठिन शब्दार्थ-इंगालकारिया-सिगड़ी। २ प्रश्न-हे भगवन् ! सिगड़ी में अग्निकाय कितने काल तक सचित्त For Personal & Private Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.004090
Book TitleBhagvati Sutra Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages530
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size9 MB
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