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___ भगवती सूत्र-ग. ५ मुमंगल मुनि द्वारा विमलवाहन का विनाश
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तीसरी बार सुमंगल अनगार को रथ के अग्रभाग से टक्कर मार कर गिरा देगा । जब विमलवाहन राजा, रथ के अग्रभाग से टक्कर मार कर सुमंगल अनगार को तीसरी बार गिरा देगा, तब सुमंगल अनगार, अत्यन्त कुपित यावत् क्रोधावेश से मिसमिसाहट करते हुए आतापना भूमि से नीचे उतर कर तेजस समुद्घात करेंगे और सात-आठ चरण पीछे हट कर विमलवाहन राजा को घोड़े, रथ और सारथि सहित जला कर भस्म कर देंगे।
४६ प्रश्न-सुमंगले णं भंते ! अणगारे विमलवाहणं रायं सहयं जाव भासरासिं करित्ता कहिं गच्छिहिति, कहिं उववज्जिहिति ? ___ ४६ उत्तर-गोयमा ! सुमंगले णं अणगारे विमलवाहणं रायं सहयं जाव भासरासिं करित्ता वहहिं छह हम-दसम दुवालस० जाव विचित्तेहिं तवोकम्मेहिं अप्पाणं भावमाणे बहुइं वासाइं सामण्णपरि- यागं पाउणेहिति, पाउणित्ता मासियाए संलेहणाए सर्टि भत्ताई अण. सणाए जाव छेदेत्ता आलोइय-पडिवकंते समाहिपत्ते उड्ढं चंदिम० जाव गेवेजविमाणावाससयं वीइवइत्ता सव्वट्ठसिधे महाविमाणे देवत्ताए उववजिहिति । तत्थ णं देवाणं अजहण्णमणुक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाइं ठिई पण्णत्ता। तत्थ णं सुमंगलस्स वि देवस्स अजहण्णमणुक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाई ठिई पण्णत्ता । से णं भंते ! सुमंगले देवे ताओ देवलोगाओ जाव महाविदेहे वासे सिज्झिहिति जाव अंतं काहिति ।
कठिन शब्दार्थ--अजहण्णमणुक्कोसेणं-अजघन्य अनुत्कृष्ट ।
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