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भगवती मूत्र-.., गोशालक का भावी मनुप्य-भव
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वाहिरिए जाव रयणवासे बुढे. तं होउ णं अम्हें इमस्म दारगस्स णामधेनं महापउमे महा० २' । तएणं तस्स दारगम्स अम्मापियरो णामधेनं करेहिंति ‘महापउमे' ति ।
कठिन शब्दार्थ-भार गसो-भार प्रमाण, प उमवासे-पद्म वर्मा (कमलों की बपा) ।
भावार्थ-४०-जिस रात्रि में उस बालक का जन्म होगा, उस रात्रि में शतद्वार नगर के भीतर और बाहर अनेक भार प्रमाण और अनेक कुंभ प्रमाण पदों (कमलों) और रत्नों की वृष्टि होगी। उस समय उस बालक के मातापिता ग्यारह दिन बीत जाने पर बारहवें दिन नामकरण करेंगे । वे गुणयुक्त, गुण-निष्पन्न नाम कि-हमारे इस बालक का जन्म हुआ तब शप्तद्वार नगर के बाहर और भीतर यावत् पद्मों और रत्नों की दृष्टि हुई थी, इसलिये इस बालक : का नाम 'महापद्म' होवे-ऐसा विचार कर उस बालक के माता-पिता 'महापद्म' यह नाम देंगे।
विवेचन-पुरुप जितने बोझ को उठा सके, उसे अथवा एक सौ बीस पल प्रमाण वजन को 'भार' या 'भारक' कहते हैं, यही भार प्रमाण कहलाता है । कुम्भ प्रमाण के तीन भेद किये हैं । यथा-जघन्य, मध्यम और उत्कृष्ट 1 साठ आढ़क प्रमाण का जघन्य कुम्भ, अस्मी आढ़क प्रमाण का मध्यम कुम्भ और सौ आढ़क प्रमाण का उत्कृष्ट कुम्भ होता है।
तएणं तं महापउमं दारगं अम्मापियरो साइरेगट्ठवासजायगं जाणित्ता सोभणंसि तिहि करण-दिवस-णवखत्त-मुहत्तंसि महया महया रायाभिसेगेणं अभिसिंचेहिति । से णं तत्थ राया भविस्सइ, महयाहिमवंत० वण्णओ जाव विहरिस्सइ । तएणं तस्स महापउ.
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