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भगवती सूत्र-श. १५ पानक-अपानक
२५ उत्तर-अपानक चार प्रकार का कहा गया है । यथा-स्थाल का पानी, वृक्षादि की छाल का पानी, सिम्बली (मटर आदि) की फली का पानी और शुद्ध पानी।
२६ प्रश्न-स्थाल पानी कितने प्रकार का कहा गया है ?
२६ उत्तर-पानी से भीगा हुआ स्थाल, पानी से भीगा हुआ बारक (करवा-मिट्टी का छोटा बर्तन), पानी से भीगा हुआ घड़ा (बड़ा घड़ा)। पानी से भीगा हुआ कलश अथवा पानी से भीगा हुआ मिट्टी का बर्तन, जिसका हाथ से स्पर्श करे, परन्तु पानी पोवे नहीं । यह स्थाल-पानी कहा गया है ।
२७ प्रश्न-त्वचा पानी (वृक्षादि की छाल का पानी) किस प्रकार का होता है ?
२७ उत्तर-आम्र, अम्बाडग इत्यादि प्रज्ञापना सूत्र के सोलहवें प्रयोग पद के अनुसार यावत् बोर, तिन्दुरुक पर्यन्त । वह तरुण (अपक्व) और कच्चा हो, उसे मुख में रख कर थोड़ा चूसे या विशेष रूप से चूसे परन्तु पानी नहीं पीवे । यह त्वचा पानी कहा गया है।
२८ प्रश्न-सिम्बली पानी किस प्रकार का होता है ?
२८ उत्तर-कलाय सिम्बली (धान्य विशेष) मंग की फली, उड़द की फली, सिम्बली (वृक्ष विशेष) की फली आदि अपक्व और कच्ची हो उनको मुख में थोड़ा चबावे विशेष चवावे, परन्तु उसका पानी नहीं पीवे। यह सिम्बली पानी कहलाता है।
२९ प्रश्न-शुद्ध पानी किस प्रकार का होता है ?
२९ उत्तर-जो छह महिने तक शुद्ध खादिम आहार खाता है, छह महीनों में से दो महिने तक पृथ्वी संस्तारक पर सोता है, दो महीने लकड़ी के संस्तारक पर सोता है और दो महीने तक दर्भ के सस्तारक पर सोता है, इस प्रकार छह महीने पूर्ण होने पर अंतिम रात्रि में उसके पास महद्धिक यावत्
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