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भगवती सूत्र-श. १४ उ. ८ पृथ्विय। आर देवलोकों का अन्तर
२ उत्तर-हे गौतम ! पूर्ववत्, इसी प्रकार यावत् तमःप्रभा और अधःसप्तम पृथ्वी तक कहना चाहिए ।
३ प्रश्न-हे भगवन् ! अधःसप्तम पृथ्वी और अलोक का अबाधा-अन्तर कितना कहा गया है ?
३ उत्तर-हे गौतम ! असंख्य हजार योजन कहा गया है।
४ प्रश्न-इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए जोइसस्स य केवइयं०-पुच्छा।
४ उत्तर-गोयमा ! सत्तणउए जोयणसए अबाहाए अंतरे पण्णत्ते । __ ५ प्रश्न-जोइसस्स णं भंते ! सोहम्मीसाणाण य कप्पाणं केवइयं-पुच्छा।
.५ उत्तर-गोयमा ! असंखेजाइं जोयण जाव अंतरे पण्णत्ते । १. ६ प्रश्न-सोहम्मीसाणाणं भंते ! सणंकुमारमाहिंदाण य केवइयं०?
६ उत्तर-एवं चेव ।
७ प्रश्न-सणंकुमारमाहिंदाणं भंते ! बंभलोगस्स कप्पस्स य केवइयं०?
७ उत्तर-एवं चेव । ८ प्रश्न-चंभलोगस्स गं भंते ! लतगस्स य कप्परस केवइयं० ?
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