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________________ __२३१६ भगवती सूत्र-श. १४ उ. ५ जीवों के इप्टानिष्ट शब्दादि ~ जीवों के इष्टानिष्ट शब्दादि ५-णेरइया दस-ठाणाहिं पञ्चणुभवमाणा विहरंति, तं जहा१ अणिटा सदा २ अणिट्ठा रूवा ३ अणिट्टा गंधा ४ अणिट्ठा रसा ५ अणिट्टा फासा ६ अणिट्ठा गई ७ अणिट्टा ठिई ८ अणिढे लावण्णे ९ अणिटे जसो-कित्ती १० अणिटे उट्ठाण कम्म-बल. वीरिय-पुरिसक्कारपरक्कमे । ६-असुरकुमारा दस ठाणाई पचणु-भवमाणा विहरंति, तं जहा-१ इट्ठा सद्दा, २ इट्टा रूवा जाव इट्टे उट्टाण-कम्म बल वीरियपुरिसकारपरकमे, एवं जाव थणियकुमारा। ___७-पुटविकाइया छ ठाणाई पचणुव्भवमाणा विहरंति, तं जहा-इट्ठाणिट्ठा फासा, इटाणिट्ठा गई, एवं जाव परकम्मे एवं जाव वगस्सइकाइया। ____-बेइंदिया सत्त ठाणाई पचणुभवमाणा विहरंति, तं जहाइटाणिट्ठा रसा, सेसं जहा एगिदियाणं । ९-तेइंदिया अट्ठ ठाणाई पचणुभवमाणा विहरंति, तं जहाइट्ठाणिट्ठा गंधा, सेसं जहा वेइंदियाणं । १०-चउरिदिया णव ठाणाई पचणु-भवमाणा विहरंति, तं जहा-इटाणिट्ठा रूवा, सेसं जहा तेइंदियाणं । Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004090
Book TitleBhagvati Sutra Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages530
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size9 MB
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