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________________ २३०२ भगवती सूत्र-३१. १४ उ. ३ नरयिकों में पुद्गल परिणाम है और पीछे शस्त्र प्रहार करता है ? उत्तर-हे गौतम ! पहले शस्त्र का प्रहार करके पीछे भी जा सकता है अथवा पहले जा कर पीछे भी शस्त्र का प्रहार कर सकता है। नैरयिकों में पुद्गल परिणाम १० प्रश्न-रयणप्पभापुढविणेरइया णं भंते ! केरिसयं पोग्गल. परिणामं पञ्चणुब्भवमाणा विहरंति ? १० उत्तर-गोयमा ! अणिटुं जाव अमणाम, एवं जाव अहे. सत्तमापुढविणेरड्या, एवं वेयणापरिणामं, एवं जहा जीवाभिगमे बिइए णेरइयउद्देसए जाव प्रश्न-अहेसत्तमापुढविणेरड्या णं भंते ! केरिसयं परिग्गहसण्णापरिणामं पञ्चणुब्भवमाणा विहरंति ? उत्तर-गोयमा ! अणिटुं जाव अमणामं । ® सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति * ॥ तेरसमसए तईओ उद्देसो समत्तो। कठिन शब्दार्थ-केरिसयं-कैसा, पच्चणुभवमाणा-अनुभव करते हुए, अणिठेंअनिष्ट, अमणाम-मन के प्रतिकूल । भावार्थ-१० प्रश्न-हे भगवन् ! रत्नप्रभा पृथ्वी के नैरयिक किस प्रकार के पुद्गल परिणाम का अनुभव करते हैं ? १० उत्तर-हे गौतम ! वे अनिष्ट यावत् अमनाम (मन के प्रतिकूल) पुदगल परिणाम का अनुभव करते हैं । इसी प्रकार यावत् अधःसप्तम पृथ्वी के Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004090
Book TitleBhagvati Sutra Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages530
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size9 MB
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