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भगवती सूत्र - १४ ३. ३ देवों में छोटे-बड़े का आदर-सम्मान २३०१
८ प्रश्न - हे भगवन् ! मध्य में होकर जाने वाला देव शस्त्र का प्रहार कर के जा सकता है या बिना प्रहार किये हो जा सकता है ?
८ उत्तर
रहे गौतम! शस्त्र का प्रहार करके जा सकता है, प्रहार किये बिना नहीं जा सकता ।
९ प्रश्न - हे भगवन् ! वह देव पहले शस्त्र का प्रहार करता है और पीछे जाता है, या पहले जाता है और पीछे शस्त्र का प्रहार करता है ?
९ उत्तर - हे गौतम ! पहले शस्त्र का प्रहार करता है और पीछे जाता है । ऐसा नहीं होता कि पहले जाता है और पीछे प्रहार करता है । इस प्रकार इस अभिलाप द्वारा दसवें शतक के 'आइडिय' नामक तीसरे उद्देशक के अनुसार सम्पूर्ण रूप मे चारों दण्डक, यावत् 'महाऋद्धि वाली वैमानिक देवी अल्प ऋद्धिवाली देवी के मध्य में होकर जा सकती है'- - तक कहना चाहिये ।
विवेचन - देव और देव - यह प्रथम दण्डक है । देव और देवी दूसरा दण्डक है | देवी और देवतासरा दण्डक है और देवी और देवी- यह चौथा दण्डक है । इन चार दण्डकों में तीन आलापक कहने चाहिये । वे इस प्रकार हैं- अल्पद्धिक और महद्धिक यह प्रथम आलापक है, समद्धिक और समद्धिक यह दूसरा आलापक है। महद्धिक और अपदिक, यह तीसरा आलापक है । इनमें से अल्पद्धिक और महद्धिक का तथा समर्द्धिक और समर्द्धक का ये दो आलापक तो मूल पाठ में साक्षात् कहे गये हैं । समद्धिक आलापक के अन्त में शेष सूत्र का अंश इस प्रकार कहना चाहिये - 'पहले शस्त्र का प्रहार कर के पीछे जाता है, परन्तु पहले जाकर पीछे शस्त्र का प्रहार नहीं करता ।' तीसरा आलापक इस प्रकार कहना चाहिये ।
प्रश्न - हे भगवन् ! महद्धिक देव, अपद्धिक देव के मध्य में होकर जा सकता है ? उत्तर - हाँ, गौतम ! जा सकता है । प्रश्न - हे भगवन् ! मद्धिक देव, शस्त्र का प्रहार कर के जा सकता है, या शस्त्र का प्रहार किये बिना ही जा सकता है ?
उत्तर - हे गौतम ! शस्त्र का प्रहार करके भी जा सकता है और शस्त्र का प्रहार किये बिना भी जा सकता है ।
प्रश्न - हे भगवन् ! पहले शस्त्र का प्रहार करत है और पीछे जाता है, या पहले जाता
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