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भगवती सूत्र-ग. १४ उ ३ दवा में छोटे-बड़े का आदर-सम्मान
७ प्रश्न-समिड्ढीए णं भंते ! देवे समिढियस्स देवरस मज्झमझेणं वीइवएजा ? ___ ७ उत्तर-णो इणटे समढे, पमत्तं पुण वीइवएज्जा।
८ प्रश्न-से णं भंते ! किं सत्थेणं अक्कमित्ता पभू, अणवकमित्ता पभू ?
८ उत्तर-गोयमा ! अक्कमित्ता पभू, णो अणक्कमित्ता पभृ ।
९ प्रश्न-से णं भंते ! किं पुट्विं सत्थेणं अक्कमित्ता पच्छा वीइवएजा, पुट्विं वीइवएजा पच्छा सस्थेणं अवकमज्जा ?
९ उत्तर-एवं एएणे अभिलावेणं जहा दसमसए आइड्ढीउद्देसए तहेव णिरवसेसं चत्तारि दंडगा भाणियव्वा जाव 'महड्ढिया वेमाणिणी अप्पड्ढियाए वेमाणिणीए०' ।
कठिन शब्दार्थ-अप्पड्ढोए-अल्पद्धिक (अल्पऋद्धि वाला) महड्ढीए-महद्धिक (महाऋद्धि वाला) अक्कमित्ता-प्रहार करके, अणक्कमित्ता-प्रहार न करके, पमत्तं-प्रमत्त (असावधान)।
भावार्थ-६ प्रश्न-हे भगवन् ! अल्पऋद्धि वाला देव, महाऋद्धि वाले देव के मध्य में होकर जा सकता है ?
६ उत्तर-हे गौतम ! यह अर्थ समर्थ नहीं ।
७ प्रश्न-हे भगवन् ! समद्धिक (समान ऋद्धि वाला) देव, समानऋद्धि वाले देव के मध्य में होकर जा सकता है ?
७ उत्तर-हे गौतम ! यह अर्थ समर्थ नहीं। यदि वह समान ऋद्धिवाला देव प्रनत्त (असावधान) हो, तो जा सकता है।
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