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भगवती सूत्र--श. १४ उ. : नैरपिकों की शीघ्र-गति
नहीं करता, तो जिस लेश्या से वहां उत्पन्न हुआ है, उसी लेश्या में रहता है ।
___ शंका-जो भावितात्मा अनगार है वह असुरकुमारों में कैसे उत्पन्न होता है ? वहाँ तो संयम के विराधक जीव उत्पन्न होते हैं ?
समाधान-शंका उचित है। इनमें पूर्व-काल की अपेक्षा भावितात्मापन समझना चाहिये। अन्त समय में वे संयम की विराधना वाले होने से असुरकुमारादि में उत्पन्न हो सकते है। अथवा यह 'बालतपस्वी भावितात्मा' समझना चाहिये ।
नैरयिकों की शीघ-गति
४ प्रश्न-णेरइयाणं भंते ! कहं सीहा गई, कहं सीह गइविसए पण्णत्ते ?
४ उत्तर-गोयमा ! मे जहाणामए-केइ पुरिसे तरुणे बलवं जुगवं जाव णिउणसिप्पोवगए आउंटियं वाहं पसारेजा, पसारियं वा वाहं आउंटेजा, विक्विणं वा मुढिं साहरेजा, साहरियं वा मुट्ठि विक्विरेजा, उणिमिसियं वा अच्छि णिम्मिसेजा, णिम्मिसियं वा अच्छि उम्मिसेज्जा, भवे एयारूवे ? णो इणटे समटे, णेरइया णं एगसमएण वा दुसमएण वा तिसमएण वा विग्गहेणं उववज्जति णेरइयाणं गोयमा ! तहा सीहा गई, तहा सीहे गइविसए पण्णत्ते; एवं जाव वेमाणियाणं, णवरं एगिदियाणं चउसमइए विग्गहे भाणियवे । सेमं तं चेव ।
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